Aath Pehar Salahe
Aath Pehar Salahe Sirjanhar Tu, Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu; is a beautiful Shabad from Sri Guru Granth Sahib Ji, Composed by Sri Guru Arjan Dev Ji under Raga Asa, indexed at Ang 397.
The core meaning of this Shabad is focused on deep dedication and surrendering oneself to the lord almighty. It emphasizes that the Waheguru is your only goal and motive, and he can be achieved by giving up one's ego and giving oneself entirely to Him. A request for compassion and kindness from the Guru is asked, who is aware of the 'need for mercy of his disciples' and 'longing for divine guidance' from within.
Shabad Information
Shabad | Aath Pehar Salahe Sirjanhar Tu |
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Composer | Sri Guru Arjan Dev Ji |
Raga | Asa |
Source | Sri Guru Granth Sahib Ji, Ang 397 |
Kirtan Artist | Bhai Harjinder Singh Ji Srinagar Wale |
Duration | 06:00 |
Music Label | T-Series |
Aath Pehar Salahey Gurbani Lyrics
Aath Pehar Salahe, Sirjanhar Tu
Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu ..x2
Habhe Thok Visaar, Hikko Khiaal Kar
Jhootha Laahe Gumaan Man Tan Arap Dhar
Aath Pehar Salahe, Sirjanhar Tu
Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu
Soi Kamm Kamaye, Jit Mukh Ujjla
Soii Lagge Sach, Jis Tu Dehiala
Aath Pehar Salahe, Sirjanhar Tu
Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu
Jo Na Dhahando Mool, So Ghar Raas Kar
Hiko Chitt Vasaye Kade Na Jaye Mar
Aath Pehar Salahe, Sirjanhar Tu
Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu
Tinha Pyara Ram Jo Prabh Bhaania
Gurparsad Akath Nanak Vakhaania
Aath Pehar Salahe, Sirjanhar Tu
Jeeva Teri Daat Kirpa Karoh Mu
English Translation
Habhe Thok Visar Hiko Khial Kar...
O Brother! Let us remember the True Lord alone, forgetting everything else, and offer our body and mind (soul) to the Lord as a sacrifice, leaving aside our false prestige due to egoism. (1)
Aath Pehar Salahey...
O Man! Sing the praises of the Lord-creator all the twenty-four hours. O True Master! May I be blessed with Your Grace and benevolence, as I feel alive only with Your True Name! (Pause-1)
Soi Kamm Kamaye...
Let us perform only those functions which would enable us to proceed with flying colours to the Lord's presence. O Lord! The person, who is blessed with Your Grace, gets engaged in Truthful actions and attaining the True Lord. (2)
Jo Na Dhahando Mool...
O Lord! You are maintaining and sustaining this human being, which never suffers any misadventures. Let us imbibe the love of the Lord in our hearts, who never suffers the pangs of death. (3)
Tinha Pyara Ram ...
O Nanak! The persons, whom the Lord endears, are always imbued with the love of the Lord and then have recited the True Name of the Lord through the Guru's Grace. (4- 5-107)
Punjabi Translation
ਆਸਾ ਪੰਜਵੀਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹੀ ॥ ਹੋਰ ਸਾਰੀਆਂ ਚੀਜਾਂ ਨੂੰ ਭੁਲਾ ਦੇ ਅਤੇ ਕੇਵਲ ਇਕ ਸੁਆਮੀ ਦਾ ਧਿਆਨ ਧਾਰ ॥ ਆਪਣੇ ਕੂੜੇ ਹੰਕਾਰ ਨੂੰ ਤਿਆਗ ਦੇ ਅਤੇ ਆਪਣੀ ਆਤਮਾ ਤੇ ਦੇਹਿ ਉਸ ਦੇ ਸਮਰਪਣ ਕਰ ਦੇ ॥ ਦਿਨ ਦੇ ਅੱਠੇ ਪਹਿਰ ਹੀ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਕਰਤਾਰ ਦੀ ਸਿਫ਼ਤ ਸਲਾਹ ਕਰ ॥ ਮੈਂ ਤੇਰੀਆਂ ਬਖਸ਼ਸ਼ਾ ਦੁਆਰਾ ਜੀਉਂਦਾ ਹਾਂ, ਮੇਰੇ ਉਤੇ ਤਰਸ ਕਰ, ਹੇ ਮੇਰੇ ਮਾਲਕ! ਠਹਿਰਾਉ ॥
ਓਹੀ ਕਾਰਜ ਕਰ, ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਹੋਰ ਚਿਹਰਾ ਰੋਸ਼ਨ ਹੋਵੇ ॥ ਹੇ ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਜਿਸ ਨੂੰ ਤੂੰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਕੇਵਲ ਓਹੀ ਸੱਚ ਨਾਲ ਜੁੜਦਾ ਹੈ ॥ ਉਸ ਧਾਮ ਨੂੰ ਬਣਾ ਤੇ ਸੁਆਰ ਜੋ ਕਦੇ ਡਿਗਦਾ ਢਹਿੰਦਾ ਨਹੀਂ, ਹੇ ਬੰਦੇ! ਇਕ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮਨ ਵਿੱਚ ਟਿਕਾ ਜੋ ਕਦੇ ਮਰਦਾ ਨਹੀਂ ॥ ਸੁਆਮੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲਾਡਲਾ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਸੁਆਮੀ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਲਗਦੇ ਹਨ ॥ ਗੁਰਾਂ ਦੀ ਦਇਆ ਦੁਆਰਾ ਨਾਨਕ ਨੇ, ਨਾਂ-ਬਿਆਨ ਹੋ ਸੱਕਣ ਵਾਲੇ ਪੁਰਖ ਨੂੰ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ ਹੈ ॥
Lyrics in Hindi
आठ पहर सालाहे, सिरजन-हार तू
जीवां तेरी दात किरपा करो मू
हभे थोक विसार हिक्को ख्याल कर
झूठा लाहे गुमान मन तन अरप धर
आठ पहर सालाहे, सिरजन-हार तू
जीवां तेरी दात किरपा करो मू
सोई कम्म कमाए जित मुख उजला
सोई लगे सच, जिस तू देहिअला
आठ पहर सालाहे, सिरजन-हार तू
जीवां तेरी दात किरपा करो मू
जो न ढहन्दो मूल सो घर रास कर
हिक्को चित वसाये कदे न जाए मर
आठ पहर सालाहे, सिरजन-हार तू
जीवां तेरी दात किरपा करो मू
तिन्हा प्यारा राम जो प्रभ भाणिया
गुरप्रसाद अकथ नानक वखाणिया
आठ पहर सालाहे, सिरजन-हार तू
जीवां तेरी दात किरपा करो मू
Hindi Translation
हे भाई! सब भुलाकर केवल सच्चे भगवान को याद करें और अहंकार के कारण अपनी झूठी प्रतिष्ठा को छोड़कर, मन शरीर भगवान के चरणों में अर्पित करें। (1)
हे बंदे! चौबीस घंटे अकाल पुरख-सृष्टिकर्ता के गुण गाओ। हे सच्चे गुरु! मैं आपकी कृपा और परोपकार से धन्य हुआ हूँ, क्योंकि आपके दिए नाम के बल पर ही मैं जीवित महसूस करता हूँ! (विराम-1)
आइए हम केवल वही कर्म करें जो परलोक में हमारा मुख उज्ज्वल करे। हे प्राणनाथ! जिस मनुष्य पर आपकी कृपा हो जाती है, वह सत्य की प्राप्ति में लग जाता है। (2)
हे भगवान! वह अवस्था निर्मित कर जो फिर नाश न हो। और उस अवस्था में उसी प्रभु का ध्यान धरो जो अकाल स्वयंभू है। (3)
हे नानक! जो व्यक्ति भगवान के प्रिय हैं, वे सदैव भगवान के प्रेम से ओत-प्रोत रहते हैं, और फिर गुरु की कृपा से भगवान के सच्चे नाम का स्मरण करते हैं।(4-5-107)