Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Pivaa
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peeva, Mere Satgur Deen Dayala is a very popular Shabad from Sri Guru Granth Sahib. It is documented on Ang 749 under the authorship of Guru Arjan Dev Vth Ji in raga Suhi. Kirtan on this Shabad has been performed by many Artists including Bhai Joginder Singh Riar and Maithili Thakur etc. Among all, the most popular versions, is the one by Bhai Harjinder Singh and Maninder Singh Ji Sri Nagar Wale.
Shabad Gurbani | Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye |
Singer | Bhai Harjinder Singh Ji, Bhai Maninder Singh Ji |
Album | Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Pivaa |
Lyrics | Guru Arjan Dev Ji |
SGGS Ang | 749 |
Duration | 10:22 |
Transliteration | Punjabi, English, Hindi |
Music Label | T-Series |
Translations | Hindi, Punjabi, English |
Lyrics in English
Simar Simar Simar Naam Jeeva
Tan Man Hoye Nihala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala
Parbrahm Parmesar Satgur Aape Karnaihara
Charan Dhoor Teri Sewak Maangai
Tere Darsan Kau Balihara
Simar Simar Simar Naam Jeeva
Tan Man Hoye Nihala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala
Mere Ram Rai, Mere Ram Rai
Jyon Raakhe Tion Rahiye ..X2
Tudh Bhaavai Taa Naam Japavah
Sukh Tera Ditta Lahiye ..X2
Simar Simar Simar Naam Jeeva
Tan Man Hoye Nihala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala ..X2
Mukat Bhugat Jugat Teri Sewa
Jis Tu Aap Karayehi ..X2
Taha Baikunth Jah Kirtan Tera
Tu Aape Sardha Laayehi ..X2
Simar Simar Simar Naam Jeeva
Tan Man Hoye Nihala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala ..X2
Kurban Jaai Us Vela Suhavi
Jit Tumrai Duaarai Aaya ..X2
Nanak Kau Prabh Bhaye Kripala
Satgur Poora Paya ..X2
Simar Simar Simar Naam Jeeva
Tan Man Hoye Nihala
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala ..Repeat Many Times
Lyrics in Gurmukhi
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan
Mere Satgur Deen Dayala
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ..x2
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰ ਸਤਿਗੁਰ ਆਪੇ ਕਰਣੈਹਾਰਾ
ਚਰਣ ਧੂੜਿ ਤੇਰੀ ਸੇਵਕੁ ਮਾਗੈ ਤੇਰੇ ਦਰਸਨ ਕਉ ਬਲਿਹਾਰਾ
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ..x2
ਮੇਰੇ ਰਾਮ ਰਾਇ, ਮੇਰੇ ਰਾਮ ਰਾਇ ਜਿਉ ਰਾਖਹਿ ਤਿਉ ਰਹੀਐ ..x2
ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਤਾ ਨਾਮੁ ਜਪਾਵਹਿ ਸੁਖੁ ਤੇਰਾ ਦਿਤਾ ਲਹੀਐ ..x2
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ..x2
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ..x2
ਮੁਕਤਿ ਭੁਗਤਿ ਜੁਗਤਿ ਤੇਰੀ ਸੇਵਾ ਜਿਸੁ ਤੂੰ ਆਪਿ ਕਰਾਇਹਿ ..x2
ਤਹਾ ਬੈਕੁੰਠੁ ਜਹ ਕੀਰਤਨੁ ਤੇਰਾ ਤੂੰ ਆਪੇ ਸਰਧਾ ਲਾਇਹਿ ..x2
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ..x2
ਕੁਰਬਾਣੁ ਜਾਈ ਉਸੁ ਵੇਲਾ ਸੁਹਾਵੀ ਜਿਤੁ ਤੁਮਰੈ ਦੁਆਰੈ ਆਇਆ ..x2
ਨਾਨਕ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਪਾਇਆ ..x2
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ .. ਕਈ ਵਾਰ ਦੁਹਰਾਓ
Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Piva Lyrics in Hindi
सिमर सिमर सिमर नाम जीवां
तन मन होय निहाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
पारब्रह्म परमेसर सतगुर आपे करनैहारा ..x2
चरण धूड़ तेरी सेवक माँगै ..x2
तेरे दर्शन कौ बलिहारा
सिमर सिमर सिमर नाम जीवां
तन मन होय निहाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
मेरे राम राय, मेरे राम राय
ज्यों राखै त्यों रहिए ..x2
तुध भावै ता नाम जपावह
सुख तेरा दित्ता लहिए ..x2
सिमर सिमर सिमर नाम जीवां
तन मन होय निहाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
मुकत भुगत जुगत तेरी सेवा
जिस तू आप करायह ..x2
तहां बैकुंठ जह कीर्तन तेरा
तू आपे सरधा लाएह ..x2
सिमर सिमर सिमर नाम जीवां
तन मन होय निहाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
कुर्बान जाई उस वेला सुहावी
जित तुमरै दुआरै आया ..x2
नानक कौ प्रभ भए कृपाला
सतगुर पूरा पाया ..x2
सिमर सिमर सिमर नाम जीवां
तन मन होय निहाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवाँ
मेरे सतगुर दीन दयाला
Original Gurmukhi Text
ਸੂਹੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰ ਸਤਿਗੁਰ ਆਪੇ ਕਰਣੈਹਾਰਾ ॥
ਚਰਣ ਧੂੜਿ ਤੇਰੀ ਸੇਵਕੁ ਮਾਗੈ ਤੇਰੇ ਦਰਸਨ ਕਉ ਬਲਿਹਾਰਾ ॥੧॥
ਮੇਰੇ ਰਾਮ ਰਾਇ ਜਿਉ ਰਾਖਹਿ ਤਿਉ ਰਹੀਐ ॥
ਤੁਧੁ ਭਾਵੈ ਤਾ ਨਾਮੁ ਜਪਾਵਹਿ ਸੁਖੁ ਤੇਰਾ ਦਿਤਾ ਲਹੀਐ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ਮੁਕਤਿ ਭੁਗਤਿ ਜੁਗਤਿ ਤੇਰੀ ਸੇਵਾ ਜਿਸੁ ਤੂੰ ਆਪਿ ਕਰਾਇਹਿ ॥
ਤਹਾ ਬੈਕੁੰਠੁ ਜਹ ਕੀਰਤਨੁ ਤੇਰਾ ਤੂੰ ਆਪੇ ਸਰਧਾ ਲਾਇਹਿ ॥੨॥
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਨਾਮੁ ਜੀਵਾ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹੋਇ ਨਿਹਾਲਾ ॥
ਚਰਣ ਕਮਲ ਤੇਰੇ ਧੋਇ ਧੋਇ ਪੀਵਾ ਮੇਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਦੀਨ ਦਇਆਲਾ ॥੩॥
ਕੁਰਬਾਣੁ ਜਾਈ ਉਸੁ ਵੇਲਾ ਸੁਹਾਵੀ ਜਿਤੁ ਤੁਮਰੈ ਦੁਆਰੈ ਆਇਆ ॥
ਨਾਨਕ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਪਾਇਆ ॥੪॥੮॥੫੫॥
English Translation
Suhi Mahalla V
The Supreme Lord, Preceptor, True Guru, the Creator!
Your devotee pleads for the dust of Your feet.
I am sacrifice unto a glimpse of You as a treat. (1)
Lord! I live the way You ordain.
If You please I meditate on the Name,
All my felicity from You I claim (1) Refrain
In Your service lies liberation, devotion, and inclination,
Which he acquires whom You motivate.
It is a heaven where You are lauded
By those in whom a desire to cherish You create. (2)
I contemplate and meditate on Your Name,
And my body and mind are satiate.
Your feet I wash and drink the wash.
My Tme Guru, Master, Compassionate! (3)
I am sacrifice unto the blessed moment
When I came to Your care.
The Lord Gracious took kindly to Nanak
And he realised the True Master. (4)
Hindi Translation
सूही महला ५ ॥
हे परब्रह्म-परमेश्वर, हे सतगुरु, तू स्वयं ही सब कुछ कर सकने वाला है,
तेरा सेवक तेरी चरण-धूलि मॉगता है और तेरे दर्शन पर बलिहारी जाता है॥ १॥
हे मेरे राम ! जैसे तू मुझे रखता है, वैसे ही मैं रहता हूँ।
जब तुझे उपयुक्त लगता है तो तू अपना नाम जपवाता है। मैं तेरा दिया हुआ ही सुख लेता हूँ॥ १॥ रहाउ॥
माया के बन्धनों से मुक्ति, भुक्ति एवं जीवन-युक्ति तेरी सेवा करने से ही मिलती है, जिसे तू स्वयं ही अपने सेवकों से करवाता है।
जहाँ तेरा कीर्तन किया जाता है, वहाँ ही बैकुण्ठ बन जाता है। तू स्वयं ही अपने सेवकों के मन में श्रद्धा उत्पन्न करता है॥ २॥
हरदम तेरा नाम-सिमरन करने से ही मुझे जीवन मिलता रहता है और मेरा मन-तन निहाल हो जाता है।
हे मेरे दीनदयालु सतगुरु ! मैं तेरे सुन्दर चरण कमल धो-धोकर पीता रहूँ॥ ३॥
मैं उस सुन्दर वक्त पर कुर्बान जाता हूँ, जब मैं तुम्हारे द्वार पर आया था।
हे भाई ! जब प्रभु नानक पर कृपालु हुआ तो उसने पूर्ण सतगुरु को पा लिया ॥ ४॥ ८ ॥ ५५ ॥