कर किरपा वसो मेरै हिरदै Hindi Lyrics
Kar Kirpa Vaso Mere Hirday Lyrics in the Hindi Language. Latest beautiful Gurbani Shabad from Jap Man Records, sung by Babbu Maan and renowned Raagi Bhai Joginder Singh Riar Ji. This Shabad is indexed in Guru Granth Sahib on Page 406 under Raag Asa and is penned by Guru Arjan Dev Ji.
शब्द गुरबाणी | कर किरपा वसो मेरै हिरदै (Hindi) |
कलाकार/रागी | बब्बू मान, भाई जोगिंदर सिंह रिआड़ |
एलबम | Single Track |
शब्द रचना | गुरु अर्जुन देव जी |
गुरु ग्रंथ अंग | 406 |
अनुवाद | Punjabi - English, Hindi |
लिप्यंतर | Punjabi - English, Hindi |
लेबल | Jap Man Records |
अवधि | 13:32 |
Lyrics in Hindi
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
#1 Udam Karo Karavo Thakur
उद्यम करो करावो ठाकुर,
उद्यम करो करावो ठाकुर,
पेखत साधु संग, पेखत साधु संग
हर हर नाम चरावहु रंगन
आपे ही प्रभ रंग
हर हर नाम चरावहु रंगन
आपे ही प्रभ रंग
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
#2 Sun Sun Naam Tumhara Preetam
सुण सुण नाम तुम्हारा प्रीतम
सुण सुण नाम तुम्हारा प्रीतम
प्रभ पेखन का चाओ, प्रभ पेखन का चाओ
दया करो किरम अपने कौ
इहै मनोरथ सुआओ
दया करो किरम अपने कौ
इहै मनोरथ सुआओ
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु..
वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु..
#3 Tan Dhan Tera Tu Prabh Mera
तन धन तेरा तू प्रभ मेरा
तन धन तेरा तू प्रभ मेरा
हमरै वस किछ नाहि
हमरै वस किछ नाहि
ज्यों ज्यों राखहि त्यों त्यों रहना
तेरा दिया खाहि
ज्यों ज्यों राखहि त्यों त्यों रहना
तेरा दिया खाहि
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
#4 Janam Janam Ke Kilvikh Kaatai
जन्म जन्म के किलविख काटै
जन्म जन्म के किलविख काटै
मज्जन हर जन धूर
मज्जन हर जन धूर
भाए भगत भरम भौ नासै
हर नानक सदा हजूर
भाए भगत भरम भौ नासै
हर नानक सदा हजूर
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
मन मह राम नामा जाप, राम नामा जाप
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै
होए सहाई आप, होए सहाई आप
होए सहाई आप, होए सहाई आप
Hindi-Hindi Translation
स्रोत
श्री गुरु ग्रंथ साहिब
भाग
राग आसा
उप-भाग
महला पाँचवाँ
अंग
406
रचना
श्री गुरु अर्जन देव जी
अनुवाद
Bhai Manmohan Singh Ji
आसा महला ५ ॥
आसा महला ५ ॥
उदमु करउ करावहु ठाकुर पेखत साधू संगि ॥
हे ठाकुर जी ! मैं साधु की संगति में मिलकर तेरा दर्शन करता रहूँ। तुम मुझ से यही उद्यम कराते रहो, चूंकि मैं यह उद्यम करता रहूँ।
हरि हरि नामु चरावहु रंगनि आपे ही प्रभ रंगि ॥१॥
हे मेरे प्रभु! मेरे मन पर हरि-हरि नाम का रंग चढ़ा दो, तुम स्वयं ही मुझे अपने नाम के रंग से रंग दो॥ १॥
मन महि राम नामा जापि ॥
मैं अपने मन में राम नाम का जाप करता रहूँ।
करि किरपा वसहु मेरै हिरदै होइ सहाई आपि ॥१॥ रहाउ ॥
अपनी कृपा करके मेरे हृदय में आन बसो और स्वयं मेरा सहायक बनो॥ १॥ रहाउ॥
सुणि सुणि नामु तुमारा प्रीतम प्रभु पेखन का चाउ ॥
हे मेरे प्रियतम प्रभु ! तेरा नाम सुन-सुनकर तेरे दर्शनों का मुझे चाव उत्पन्न हो गया है।
दइआ करहु किरम अपुने कउ इहै मनोरथु सुआउ ॥२॥
अपने तुच्छ कीड़े पर दया करो, केवल यही मेरा मनोरथ एवं प्रयोजन है॥ २॥
तनु धनु तेरा तूं प्रभु मेरा हमरै वसि किछु नाहि ॥
हे मेरे प्रभु ! तू मेरा मालिक है और मेरा तन एवं धन सब तेरे ही दिए हुए हैं। मेरे वश में कुछ भी नहीं है।
जिउ जिउ राखहि तिउ तिउ रहणा तेरा दीआ खाहि ॥३॥
जैसे तुम रखते हो, वैसे ही मैं रहता हूँ। मैं वही खाता हूँ जो तुम मुझे देते हो॥ ३॥
जनम जनम के किलविख काटै मजनु हरि जन धूरि ॥
हरि के भक्तजनों की चरण-धूलि में किया हुआ स्नान जन्म-जन्मांतर के पाप काट देता है।
भाइ भगति भरम भउ नासै हरि नानक सदा हजूरि ॥४॥४॥१३९॥
प्रभु की प्रेम-भक्ति के कारण दुविधा एवं भय नष्ट हो जाते हैं। हे नानक ! ईश्वर सदैव जीव के साथ ही रहता है॥ ४॥ ४॥ १३६॥
The Review
कर किरपा वसो मेरै हिरदै
भाई जोगिंदर सिंह रियाड़ जी और बब्बू मान की एक खूबसूरत जुगलबंदी - कर किरपा वसो, वसहु मेरै हिरदै। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में पृष्ठ 406 पर अनुक्रमित राग आसा से ली गयी गुरु अर्जन देव जी के लेखन में से एक अति सुंदर रचना।
Review Breakdown
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जुगलबंदी
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संगीत रचना
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शब्द रचना
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वैराग्य गुरुत्व
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अनुवाद व लिप्यंतर