कोई बोले राम राम, कोई खुदाए
कोई बोले राम राम, कोई खुदाए, कोई सेवै गुसैयाँ कोई अल्लाहे गुरु ग्रंथ साहिब जी के अंग ८८५ पर दर्ज राग रामकली में श्री गुरु अर्जुन देव जी की रचना है।
बहुत सारे हज़ूरी रागियों व अन्य कलाकारों ने इस शब्द पर कीर्तन किया है जिनमें शामिल है अतिप्रसिद्ध भाई जसविन्दर सिंह जी व साथी, भाई निर्मल सिंह जी खालसा, भाई अनूप सिंह जी, भाई मनिन्दर सिंह जी इत्यादि। यहाँ तक कि उस्ताद नुसरत फ़तह अली खान साहब ने भी इस शब्द पर कीर्तन किया था। यहाँ हमने भाई सतविन्दर सिंह जी, व हरविंदर सिंह जी द्वारा गाए गए शब्द के बोल प्रस्तुत किए हैं, आशा है आप इनका आनंद लेंगे।
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Shabad Gurbani | कोई बोले राम राम |
Singer | भाई सतविन्दर सिंह, भाई हरविंदर सिंह जी (दिल्ली वाले) |
Album | कोई बोले राम राम |
Lyrics | गुरु अर्जुन देव जी |
SGGS Ang | 885 |
Translation | हिन्दी |
Transliteration | हिन्दी |
Music Label | T-Series |
Released | 2006 |
Koi Bole Ram Ram Lyrics
कोई बोलै राम राम कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि
कोई बोलै राम राम कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि ..x2
कारण करण, करण करीम
किरपा धार, धार रहीम ..x2
कोई बोलै राम राम, कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ, कोई अलाहि ..x4
कोई नावै तीरथ, कोई हज जाए
कोई करै पूजा, कोई सिर निवाए ..x2
कोई करै पूजा, कोई सिर निवाए
कोई बोलै राम राम, कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ, कोई अलाहि ..x4
कोई पड़ै बेद, कोई कतेब
कोई ओढै नील, कोई सुपेद ..x2
कोई ओढै नील, कोई सुपेद
कोई बोलै राम राम, कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ, कोई अलाहि ..x4
कोई कहै तुरक, कोई कहै हिंदू
कोई बाछै भिस्त, कोई सुरगिंदू ..x2
कोई बाछै भिस्त, कोई सुरगिंदू
कोई बोलै राम राम, कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि ..x4
कहु नानक जिन, हुकम पछाता
प्रभ साहिब का, तिन भेद जाता ..x2
प्रभ साहिब का, तिन भेद जाता
कोई बोलै राम राम कोई खुदाए
कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि ..x4
Original Text in Hindi
रामकली महला ५ ॥
कोई बोलै राम राम कोई खुदाए ॥
कोई सेवै गुसईआ कोई अलाहि ॥१॥
कारण करण करीम ॥
किरपा धार रहीम ॥१॥ रहाउ ॥
कोई नावै तीरथ कोई हज जाए ॥
कोई करै पूजा कोई सिर निवाए ॥२॥
कोई पड़ै बेद कोई कतेब ॥
कोई ओढै नील कोई सुपेद ॥३॥
कोई कहै तुरक कोई कहै हिंदू ॥
कोई बाछै भिसत कोई सुरगिंदू ॥४॥
कहु नानक जिन हुकम पछाता ॥
प्रभ साहिब का तिन भेद जाता ॥५॥९॥
Hindi Translation of Koi Bole Ram Ram...
रामकली महला ५ ॥
ईश्वर तो एक ही है, पर कोई उसे राम-राम बोल रहा है और कोई खुदा कह रहा है।
कोई गुसाँई की उपासना करता है और कोई अल्लाह की बंदगी कर रहा है॥ १॥
सबकी रचना करने वाला वह परमपिता बड़ा दयालु, कृपा का घर एवं रहमदिल है॥ १॥ रहाउ ॥
कोई तीर्थों पर स्नान करता है तो कोई हज करने के लिए मक्का जाता है।
कई पूजा-अर्चना करते है तो कोई सिर झुका कर सिजदा करता है॥ २॥
कोई वेद पढ़ता है तो कोई कुरान पढ़ता है। कई नीले वस्त्र पहनते हैं, कोई सफेद वस्त्र धारण करता है॥ ३॥
कई स्वयं को मुसलमान कहते हैं और कई स्वयं को हिन्दू कहते हैं।
कोई बिहिश्त की तमन्ना करता है, तो कोई स्वर्ग की कामना करता है॥ ४॥
हे नानक ! जिसने ईश्वर के हुक्म को पहचान लिया है ॥
उसने मालिक-प्रभु का भेद जान लिया है॥ ५ ॥