Jaap Sahib Hindi PDF
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जपजी साहिब के बाद जाप साहिब सिखों के नित्य-नियम का दूसरा पाठ होता है। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी रचित दशम ग्रंथ में यह सबसे पहली वाणी है। अमृत संचार के समय जब पाँच प्यारे खण्डे बाटे की पाहुल तैयार करते हैं तो इस वाणी का पाठ भी किया जाता है। जाप साहिब में अकाल पुरुष की महिमा में 700 से भी अधिक उपमाओं का प्रयोग हुआ है जो इस वाणी को अद्वितीय बनाता है।
Book | Jaap Sahib in Hindi |
Writer | Guru Gobind Singh Ji |
Book | Sri Dasam Granth Sahib |
Pages | 40 |
Language | Hindi |
Script | Devnagari |
Size | 140 KB |
Format | |
Publisher | Sikhizm [Public Domain] |
Text Excerpt
श्री वाहिगुरू जी की फ़तह ॥ जाप ॥ श्री मुखवाक पातिसाही १० ॥
छपै छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
चक्र चिह्न अर बरन जात अर पात नहिन जिह ॥
रूप रंग अर रेख भेख कोऊ कहि न सकत किह ॥
अचल मूरत अनभौ प्रकास अमितोज कहिजै ॥
कोट इंद्र इंद्राण साहु साहाण गणिजै ॥
त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेत नेत बन त्रिण कहत ॥
त्व सर्ब नाम कथै कवन कर्म नाम बरणत सुमत ॥१॥
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