• About Us
  • Contact Us
No Result
View All Result
Sikhism Religion - Sikhism Beliefs, Teachings & Culture
  • Sikhism Beliefs
    • Body, Mind and Soul
    • Eating Meat
    • Holy Book of Sikhs
    • Miri-Piri Principle
    • Karma, Free Will and Grace
  • 10 Gurus
    • Guru Nanak Dev Ji
    • Guru Angad Dev Ji
    • Guru Amar Das Ji
    • Guru Ramdas Ji
    • Guru Arjan Dev Ji
    • Guru Hargobind Sahib Ji
    • Guru Har Rai Ji
    • Guru Harkrishan Sahib Ji
    • Guru Tegh Bahadur Ji
    • Guru Gobind Singh Ji
  • Gurbani Lyrics
  • Sikh History
    • Facts
  • Hukamnama
    • Hukamnama PDF
  • Downloads
    • PDF Books
    • Gurpurab Images
    • Gurbani Wallpaper
  • Calendar
    • Nanakshahi 2023
    • Gurpurab
    • Sangrand
    • Puranmashi
    • Masya
  • Sikhism Beliefs
    • Body, Mind and Soul
    • Eating Meat
    • Holy Book of Sikhs
    • Miri-Piri Principle
    • Karma, Free Will and Grace
  • 10 Gurus
    • Guru Nanak Dev Ji
    • Guru Angad Dev Ji
    • Guru Amar Das Ji
    • Guru Ramdas Ji
    • Guru Arjan Dev Ji
    • Guru Hargobind Sahib Ji
    • Guru Har Rai Ji
    • Guru Harkrishan Sahib Ji
    • Guru Tegh Bahadur Ji
    • Guru Gobind Singh Ji
  • Gurbani Lyrics
  • Sikh History
    • Facts
  • Hukamnama
    • Hukamnama PDF
  • Downloads
    • PDF Books
    • Gurpurab Images
    • Gurbani Wallpaper
  • Calendar
    • Nanakshahi 2023
    • Gurpurab
    • Sangrand
    • Puranmashi
    • Masya
No Result
View All Result
Sikhizm
No Result
View All Result
Home Gurbani Lyrics

Jaap Sahib Path in Hindi

गुरु गोबिन्द सिंह कृत जाप साहिब का सम्पूर्ण पाठ आसान हिन्दी भाषा में

Sikhizm by Sikhizm
March 26, 2022
in Gurbani Lyrics, Nitnem
0
Jaap Sahib Hindi Complete Path Nitnem
Share on FacebookShare on Twitter

Jaap Sahib in Hindi

Jaap Sahib Hindi: This Baani is included in the routine Path every Gursikh does according to the Rehatnama accepted by SGPC. This is one of the most important Baani from Dasam Granth, which is recited by Panj Pyare Sahiban during the Amrit Sanchar Ceremony while preparing Pahul of Khanda-Bata.

Differences Between Japji Sahib and Jaap Sahib

Japji SahibJaap Sahib
First Baani in Guru Granth Sahib is Japji Sahib, composed by Guru Nanak Dev Ji, Edited by Guru Angad Dev JiIn Dasam Granth, First Baani is Jaap Sahib credited to Guru Gobind Singh Ji.
Japji Sahib is Consisted of 38 Pauris or Steps, with One Manglacharn or Mool Mantra and One Exit Shloka.Jaap Sahib has 199 Stanzas and is longer than Japji Sahib.
Japji Sahib is composed in the typical Punjabi Language of the time.It is written in Braj Bhasha, Sanskrit, and Arabic.
Japji Sahib is the core juice of Guru Granth Sahib, very deep in meaning, helps a Gursikh to attain the ultimate seat in Sachkhand.On the other hand, Jaap Sahib is mostly praise of God with 100s of names and his traits.
There is no raaga in Japji Sahib.Jaap Sahib is composed of various Chhands.

Download Now

Jaap Sahib Hindi

# Jaap Sahib Hindi 1-78

श्री वाहिगुरू जी की फ़तह ॥

जाप ॥

श्री मुखवाक पातिसाही १० ॥

छपै छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
चक्र चिह्न अर बरन जात अर पात नहिन जिह ॥
रूप रंग अर रेख भेख कोऊ कहि न सकत किह ॥
अचल मूरत अनभौ प्रकास अमितोज कहिजै ॥
कोट इंद्र इंद्राण साहु साहाण गणिजै ॥
त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेत नेत बन त्रिण कहत ॥
त्व सर्ब नाम कथै कवन कर्म नाम बरणत सुमत ॥१॥

भुजंग प्रयात छंद ॥ नमस्त्वं अकाले ॥
नमस्त्वं कृपाले ॥ नमस्त्वं अरूपे ॥
नमस्त्वं अनूपे ॥२॥

नमस्तं अभेखे ॥ नमस्तं अलेखे ॥
नमस्तं अकाए ॥ नमस्तं अजाए ॥३॥

नमस्तं अगंजे ॥ नमस्तं अभंजे ॥
नमस्तं अनामे ॥ नमस्तं अठामे ॥४॥

नमस्तं अकर्मं ॥ नमस्तं अधर्मं ॥
नमस्तं अनामं ॥ नमस्तं अधामं ॥५॥

नमस्तं अजीते ॥ नमस्तं अभीते ॥
नमस्तं अबाहे ॥ नमस्तं अढाहे ॥६॥

नमस्तं अनीले ॥ नमस्तं अनादे ॥
नमस्तं अछेदे ॥ नमस्तं अगाधे ॥७॥

नमस्तं अगंजे ॥ नमस्तं अभंजे ॥
नमस्तं उदारे ॥ नमस्तं अपारे ॥८॥

नमस्तं सु एकै ॥ नमस्तं अनेकै ॥
नमस्तं अभूते ॥ नमस्तं अजूपे ॥९॥

नमस्तं नृकर्मे ॥ नमस्तं नृभरमे ॥
नमस्तं नृदेसे ॥ नमस्तं नृभेसे ॥१०॥

नमस्तं नृनामे ॥ नमस्तं नृकामे ॥
नमस्तं नृधाते ॥ नमस्तं नृघाते ॥११॥

नमस्तं नृधूते ॥ नमस्तं अभूते ॥
नमस्तं अलोके ॥ नमस्तं असोके ॥१२॥

नमस्तं नृतापे ॥ नमस्तं अथापे ॥
नमस्तं त्रिमाने ॥ नमस्तं निधाने ॥१३॥

नमस्तं अगाहे ॥ नमस्तं अबाहे ॥
नमस्तं त्रिबरगे ॥ नमस्तं असरगे ॥१४॥

नमस्तं प्रभोगे ॥ नमस्तं सुजोगे ॥
नमस्तं अरंगे ॥ नमस्तं अभंगे ॥१५॥

नमस्तं अगमे ॥ नमस्तस्त रमे ॥
नमस्तं जलासरे ॥ नमस्तं निरासरे ॥१६॥

नमस्तं अजाते ॥ नमस्तं अपाते ॥
नमस्तं अमजबे ॥ नमस्तस्त अजबे ॥१७॥

नमस्तं अभेसे ॥ नमस्तं नृधामे ॥
नमस्तं नृबामे ॥१८॥

नमो सर्ब काले ॥ नमो सर्ब दयाले ॥
नमो सर्ब रूपे ॥ नमो सर्ब भूपे ॥१९॥

नमो सर्ब खापे ॥ नमो सर्ब थापे ॥
नमो सर्ब काले ॥ नमो सर्ब पाले ॥२०॥

नमस्तस्त देवै ॥ नमस्तं अभेवै ॥
नमस्तं अजनमे ॥ नमस्तं सुबनमे ॥२१॥

नमो सर्ब गौने ॥ नमो सर्ब भौने ॥
नमो सर्ब रंगे ॥ नमो सर्ब भंगे ॥२२॥

नमो काल काले ॥ नमस्तस्त दयाले ॥
नमस्तं अबरने ॥ नमस्तं अमरने ॥२३॥

नमस्तं जरारं ॥ नमस्तं कृतारं ॥
नमो सर्ब धंधे ॥ नमो सत अबंधे ॥२४॥

नमस्तं नृसाके ॥ नमस्तं नृबाके ॥
नमस्तं रहीमे ॥ नमस्तं करीमे ॥२५॥

नमस्तं अनंते ॥ नमस्तं महंते ॥
नमस्तस्त रागे ॥ नमस्तं सुहागे ॥२६॥

नमो सर्ब सोखं ॥ नमो सर्ब पोखं ॥
नमो सर्ब करता ॥ नमो सर्ब हरता ॥२७॥

नमो जोग जोगे ॥ नमो भोग भोगे ॥
नमो सर्ब दयाले ॥ नमो सर्ब पाले ॥२८॥

चाचरी छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
अरूप हैं ॥ अनूप हैं ॥
अजू हैं ॥ अभू हैं ॥२९॥

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥
अनाम हैं ॥ अकाम हैं ॥३०॥

अधे हैं ॥ अभे हैं ॥
अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥३१॥

त्रिमान हैं ॥ निधान हैं ॥
त्रिबरग है ॥ असरग हैं ॥३२॥

अनील हैं ॥ अनाद हैं ॥
अजे हैं ॥ अजाद हैं ॥३३॥

अजनम हैं ॥ अबरन हैं ॥
अभूत हैं ॥ अभरन हैं ॥३४॥

अगंज हैं ॥ अभंज हैं ॥
अझूझ हैं ॥ अझंझ हैं ॥३५॥

अमीक हैं ॥ रफ़ीक हैं ॥
अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥३६॥

नृबूझ हैं ॥ असूझ हैं ॥
अकाल हैं ॥ अजाल हैं ॥३७॥

अलाह हैं ॥ अजाह हैं ॥
अनंत हैं ॥ महंत हैं ॥३८॥

अलीक हैं ॥ नृश्रीक हैं ॥
नृलंभ हैं ॥ असंभ हैं ॥३९॥

अगम हैं ॥ अजम हैं ॥
अभूत हैं ॥ अछूत हैं ॥४०॥

अलोक हैं ॥ असोक हैं ॥
अकर्म हैं ॥ अभरम हैं ॥४१॥

अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥
अबाह हैं ॥ अगाह हैं ॥४२॥

अमान हैं ॥ निधान हैं ॥
अनेक हैं ॥ फिरि एक हैं ॥४३॥

भुजंग प्रयात छंद ॥ नमो सर्ब माने ॥
समसती निधाने ॥ नमो देव देवे ॥
अभेखी अभेवे ॥४४॥

नमो काल काले ॥ नमो सर्ब पाले ॥
नमो सर्ब गौणे ॥ नमो सर्ब भौणे ॥४५॥

अनंगी अनाथे ॥ नृसंगी प्रमाथे ॥
नमो भान भाने ॥ नमो मान माने ॥४६॥

नमो चंद्र चंद्रे ॥ नमो भान भाने ॥
नमो गीत गीते ॥ नमो तान ताने ॥४७॥

नमो नृ्त नि्रते ॥ नमो नाद नादे ॥
नमो पान पाने ॥ नमो बाद बादे ॥४८॥

अनंगी अनामे ॥ समसती सरूपे ॥
प्रभंगी प्रमाथे ॥ समसती बिभूते ॥४९॥

कलंकं बिना नेकलंकी सरूपे ॥
नमो राज राजेस्वरं परम रूपे ॥५०॥

नमो जोग जोगेस्वरं परम सि्धे ॥
नमो राज राजेस्वरं परम ब्रिधे ॥५१॥

नमो ससत्र पाणे ॥ नमो असत्र माणे ॥
नमो परम ज्ञाता ॥ नमो लोक माता ॥५२॥

अभेखी अभरमी अभोगी अभुगते ॥
नमो जोग जोगेस्वरं परम जुगते ॥५३॥

नमो नि्त नाराइणे करूर कर्मे ॥
नमो प्रेत अप्रेत देवे सुधर्मे ॥५४॥

नमो रोग हरता ॥ नमो राग रूपे ॥
नमो साह साहं ॥ नमो भूप भूपे ॥५५॥

नमो दान दाने ॥ नमो मान माने ॥
नमो रोग रोगे ॥ नमस्तं सनाने ॥५६॥

नमो मंत्र मंत्रं ॥ नमो जंत्र जंत्रं ॥
नमो इसट इसटे ॥ नमो तंत्र तंत्रं ॥५७॥

सदा स्चदानंद सरबं प्रणासी ॥
अनूपे अरूपे समस्तुल निवासी ॥५८॥

सदा सिधिदा बुधिदा ब्रिधि करता ॥
अधो उरध अरधं अघं ओघ हरता ॥५९॥

परं परम परमेस्वरं प्रोछ पालं ॥
सदा सर्बदा सिधि दाता दयालं ॥६०॥

अछेदी अभेदी अनामं अकामं ॥
समसतो पराजी समसतसतु धामं ॥६१॥

तेरा जोर ॥ चाचरी छंद ॥ जले हैं ॥
थले हैं ॥ अभीत हैं ॥ अभे हैं ॥६२॥

प्रभू हैं ॥ अजू हैं ॥
अदेस हैं ॥ अभेस हैं ॥६३॥

भुजंग प्रयात छंद ॥
अगाधे अबाधे ॥ अनंदी सरूपे ॥
नमो सर्ब माने ॥ समसती निधाने ॥६४॥

नमस्त्वं नृनाथे ॥ नमस्त्वं प्रमाथे ॥
नमस्त्वं अगंजे ॥ नमस्त्वं अभंजे ॥६५॥

नमस्त्वं अकाले ॥ नमस्त्वं अपाले ॥
नमो सर्ब देसे ॥ नमो सर्ब भेसे ॥६६॥

नमो राज राजे ॥ नमो साज साजे ॥
नमो साह साहे ॥ नमो माह माहे ॥६७॥

नमो गीत गीते ॥ नमो प्रीत प्रीते ॥
नमो रोख रोखे ॥ नमो सोख सोखे ॥६८॥

नमो सर्ब रोगे ॥ नमो सर्ब भोगे ॥
नमो सर्ब जीतं ॥ नमो सर्ब भीतं ॥६९॥

नमो सर्ब ज्ञानं ॥ नमो परम तानं ॥
नमो सर्ब मंत्रं ॥ नमो सर्ब जंत्रं ॥७०॥

नमो सर्ब द्रि्सं ॥ नमो सर्ब कृ्सं ॥
नमो सर्ब रंगे ॥ त्रिभंगी अनंगे ॥७१॥

नमो जीव जीवं ॥ नमो बीज बीजे ॥
अखि्जे अभि्जे ॥ समस्तं प्रसि्जे ॥७२॥

कृपालं सरूपे ॥ कुकर्मं प्रणासी ॥
सदा सर्बदा रिध सिधं निवासी ॥७३॥

चरपट छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
अमृत कर्मे ॥ अंब्रित धर्मे ॥
अखिल जोगे ॥ अचल भोगे ॥७४॥

अचल राजे ॥ अटल साजे ॥
अखल धर्मं ॥ अलख कर्मं ॥७५॥

सरबं दाता ॥ सरबं ज्ञाता ॥
सरबं भाने ॥ सरबं माने ॥७६॥

सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥
सरबं भुगता ॥ सरबं जुगता ॥७७॥

सरबं देवं ॥ सरबं भेवं ॥
सरबं काले ॥ सरबं पाले ॥७८॥

# Jaap Sahib Hindi 79-86

रूआल छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
आद रूप अनाद मूरत अजोन पुरख अपार ॥
सरब मान त्रिमान देव अभेव आद उदार ॥
सरब पालक सर्ब घालक सर्ब को पुन काल ॥
ज्त्र त्त्र बिराजही अवधूत रूप रिसाल ॥७९॥

नाम ठाम न जात जाकर रूप रंग न रेख ॥
आद पुरख उदार मूरत अजोन आद असेख ॥
देस और न भेस जाकर रूप रेख न राग ॥
जत्र तत्र दिसा विसा हुइ फैलिओ अनुराग ॥८०॥

नाम काम बिहीन पेखत धाम हूं नहि जाहि ॥
सरब मान सरबत्र मान सदैव मानत ताहि ॥
एक मूरत अनेक दरसन कीन रूप अनेक ॥
खेल खेल अखेल खेलन अंत को फिरि एक ॥८१॥

देव भेव न जानही जिह बेद और कतेब ॥
रूप रंग न जात पात सु जानई किह जेब ॥
तात मात न जात जाकर जनम मरन बिहीन ॥
चक्र ब्क्र फिरै चतुर चकि मान ही पुर तीन ॥८२॥

लोक चौदह के बिखै जग जाप ही जिह जाप ॥
आद देव अनाद मूरत थापिओ सबै जिह थाप ॥
परम रूप पुनीत मूरत पूरन पुरख अपार ॥
सरब बिस्व रचिओ सुयंभव गड़न भंजनहार ॥८३॥

काल हीन कला संजुगत अकाल पुरख अदेस ॥
धर्म धाम सु भरम रहत अभूत अलख अभेस ॥
अंग राग न रंग जा कहि जात पात न नाम ॥
गरब गंजन दुस्ट भंजन मुक्त दायक काम ॥८४॥

आप रूप अमीक अनउसतत एक पुरख अवधूत ॥
गरब गंजन सर्ब भंजन आद रूप असूत ॥
अंग हीन अभंग अनातम एक पुरख अपार ॥
सरब लायक सर्ब घायक सर्ब को प्रतिपार ॥८५॥

सरब गंता सर्ब हंता सर्ब ते अनभेख ॥
सरब सास्त्र न जानही जिह रूप रंग अर रेख ॥
परम बेद पुराण जाकहि नेत भाखत नित ॥
कोट सिमृत पुरान सास्त्र न आवई वहु चि्त ॥८६॥

# Jaap Sahib Hindi 87-110

मधुभार छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
गुन गन उदार ॥ महिमा अपार ॥
आसन अभंग ॥ उपमा अनंग ॥८७॥

अनभौ प्रकास ॥ निस दिन अनास ॥
आजानु बाहु ॥ साहानु साहु ॥८८॥

राजान राज ॥ भानान भान ॥
देवान देव ॥ उपमा महान ॥८९॥

इंद्रान इंद्र ॥ बालान बाल ॥
रंकान रंक ॥ कालान काल ॥९०॥

अनभूत अंग ॥ आभा अभंग ॥
गत मित अपार ॥ गुन गन उदार ॥९१॥

मुनि गन प्रनाम ॥ निरभै निकाम ॥
अत दुत प्रचंड ॥ मित गत अखंड ॥९२॥

आलिस्य कर्म ॥ आद्रिस्य धर्म ॥
सरबा भरणाढय ॥ अनडंड बाढय ॥९३॥

चाचरी छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
गुबिंदे ॥ मुकंदे ॥ उदारे ॥ अपारे ॥९४॥

हरीअं ॥ करीअं ॥ नृनामे ॥ अकामे ॥९५॥

भुजंग प्रयात छंद ॥ च्त्र चक्र करता ॥
च्त्र चक्र हरता ॥ च्त्र चक्र दाने ॥
च्त्र चक्र जाने ॥९६॥

च्त्र चक्र वरती ॥ च्त्र चक्र भरती ॥
च्त्र चक्र पाले ॥ च्त्र चक्र काले ॥९७॥

च्त्र चक्र पासे ॥ च्त्र चक्र वासे ॥
च्त्र चक्र मानयै ॥ च्त्र चक्र दानयै ॥९८॥

चाचरी छंद ॥
न स्त्रै ॥ न मि्त्रै ॥ न भरमं ॥ न भि्त्रै ॥९९॥

न कर्मं ॥ न काए ॥ अजनमं ॥ अजाए ॥१००॥

न चि्त्रै ॥ न मि्त्रै ॥ परे हैं ॥ पवि्त्रै ॥१०१॥

प्रिथीसै ॥ अदीसै ॥ अद्रिसै ॥ अक्रिसै ॥१०२॥

भगवती छंद ॥ त्वप्रसाद कथते ॥
कि आछि्ज देसै ॥ कि आभि्ज भेसै ॥
कि आगंज कर्मै ॥ कि आभंज भरमै ॥१०३॥

कि आभिज लोकै ॥ कि आदत सोकै ॥
कि अवधूत बरनै ॥ कि बिभूत करनै ॥१०४॥

कि राजं प्रभा हैं ॥ कि धर्मं धुजा हैं ॥
कि आसोक बरनै ॥ कि सरबा अभरनै ॥१०५॥

कि जगतं कृती हैं ॥ कि छत्रं छत्री हैं ॥
कि ब्रहमं सरूपै ॥ कि अनभौ अनूपै ॥१०६॥

कि आद अदेव हैं ॥ कि आप अभेव हैं ॥
कि चि्त्रं बिहीनै ॥ कि एकै अधीनै ॥१०७॥

कि रोजी रजाकै ॥ रहीमै रिहाकै ॥
कि पाक बिऐब हैं ॥ कि गैबुल ग़ैब हैं ॥१०८॥

कि अफवुल गुनाह हैं ॥ कि शाहान शाह हैं ॥
कि कारन कुनिंद हैं ॥ कि रोज़ी दिहिंद हैं ॥१०९॥

कि राज़क रहीम हैं ॥ कि कर्मं करीम हैं ॥
कि सरबं कली हैं ॥ कि सरबं दली हैं ॥११०॥

# Jaap Sahib Hindi 111-149

कि सरबत्र मानियै ॥ कि सरबत्र दानियै ॥
कि सरबत्र गौनै ॥ कि सरबत्र भौनै ॥१११॥

कि सरबत्र देसै ॥ कि सरबत्र भेसै ॥
कि सरबत्र राजै ॥ कि सरबत्र साजै ॥११२॥

कि सरबत्र दीनै ॥ कि सरबत्र लीनै ॥
कि सरबत्र जाहो ॥ कि सरबत्र भाहो ॥११३॥

कि सरबत्र देसै ॥ कि सरबत्र भेसै ॥
कि सरबत्र कालै ॥ कि सरबत्र पालै ॥११४॥

कि सरबत्र हंता ॥ कि सरबत्र गंता ॥
कि सरबत्र भेखी ॥ कि सरबत्र पेखी ॥११५॥

कि सरबत्र काजै ॥ कि सरबत्र राजै ॥
कि सरबत्र सोखै ॥ कि सरबत्र पोखै ॥११६॥

कि सरबत्र त्राणै ॥ कि सरबत्र प्राणै ॥
कि सरबत्र देसै ॥ कि सरबत्र भेसै ॥११७॥

कि सरबत्र मानियैं ॥ सदैवं प्रधानियैं ॥
कि सरबत्र जापियै ॥ कि सरबत्र थापियै ॥११८॥

कि सरबत्र भानै ॥ कि सरबत्र मानै ॥
कि सरबत्र इंद्रै ॥ कि सरबत्र चंद्रै ॥११९॥

कि सरबं कलीमै ॥ कि परमं फ़हीमै ॥
कि आकिल अलामै ॥ कि साहिब कलामै ॥१२०॥

कि हुसनल वजू हैं ॥ तमामुल रुजू हैं ॥
हमेसुल सलामै ॥ सलीखत मुदामैं ॥१२१॥

ग़नीमुल शिकसतै ॥ गरीबुल परसतै ॥
बिलंदुल मकानै ॥ ज़मीनुल ज़मानै ॥१२२॥

तमीज़ुल तमामैं ॥ रुजूअल निधानैं ॥
हरीफ़ुल अजीमैं ॥ रज़ायक यकीनै ॥१२३॥

अनेकुल तरंग हैं ॥ अभेद हैं अभंग हैं ॥
अज़ीज़ुल निवाज़ हैं ॥ ग़नीमुल खिराज हैं ॥१२४॥

निरुकत सरूप हैं ॥ त्रिमुक्त बिभूत हैं ॥
प्रभुगत प्रभा हैं ॥ सुजुगत सुधा हैं ॥१२५॥

सदैवं सरूप हैं ॥ अभेदी अनूप हैं ॥
समसतो पराज हैं ॥ सदा सर्ब साज हैं ॥१२६॥

समस्तुल सलाम हैं ॥ सदैवल अकाम हैं ॥
नृबाध सरूप हैं ॥ अगाध हैं अनूप हैं ॥१२७॥

ओअं आद रूपे ॥ अनाद सरूपै ॥
अनंगी अनामे ॥ त्रिभंगी त्रिकामे ॥१२८॥

त्रिबरगं त्रिबाधे ॥ अगंजे अगाधे ॥
सुभं सर्ब भागे ॥ सु सरबा अनुरागे ॥१२९॥

त्रिभुगत सरूप हैं ॥ अछि्ज हैं अछूत हैं ॥
कि नरकं प्रणास हैं ॥ प्रिथीउल प्रवास हैं ॥१३०॥

निरुकत प्रभा हैं ॥ सदैवं सदा हैं ॥
बिभुगत सरूप है ॥ प्रजुगत अनूप हैं ॥१३१॥

निरुकत सदा हैं ॥ बिभुगत प्रभा हैं ॥
अनउकत सरूप हैं ॥ प्रजुगत अनूप हैं ॥१३२॥

चाचरी छंद ॥ अभंग हैं ॥ अनंग हैं ॥
अभेख हैं ॥ अलेख हैं ॥१३३॥

अभरम हैं ॥ अकर्म हैं ॥
अनाद हैं ॥ जुगाद हैं ॥१३४॥

अजै हैं ॥ अबै हैं ॥
अभूत हैं ॥ अधूत हैं ॥१३५॥

अनास हैं ॥ उदास हैं ॥
अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥१३६॥

अभगत हैं ॥ बिरकत हैं ॥
अनास हैं ॥ प्रकास हैं ॥१३७॥

निचिंत हैं ॥ सुनिंत हैं ॥
अलि्ख हैं ॥ अदि्ख हैं ॥१३८॥

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥
अढाह हैं ॥ अगाह हैं ॥१३९॥

अस्मभ हैं ॥ अग्मभ हैं ॥
अनील हैं ॥ अनाद हैं ॥१४०॥

अनित हैं ॥ सुनित हैं ॥
अजात हैं ॥ अजाद हैं ॥१४१॥

चरपट छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
सरबं हंता ॥ सर्ब गंता ॥
सरबं ख्याता ॥ सरबं ज्ञाता ॥१४२॥

सरबं हरता ॥ सरबं करता ॥
सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥१४३॥

सरबं कर्मं ॥ सरबं धर्मं ॥
सरबं जुगता ॥ सरबं मुक्ता ॥१४४॥

रसावल छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
नमो नरक नासे ॥ सदैवं प्रकासे ॥
अनंगं सरूपे ॥ अभंगं बिभूते ॥१४५॥

प्रमाथं प्रमाथे ॥ सदा सर्ब साथे ॥
अगाध सरूपे ॥ नृबाध बिभूते ॥१४६॥

अनंगी अनामे ॥
त्रिभंगी त्रिकामे ॥
नृभंगी सरूपे ॥
सरबंगी अनूपे ॥१४७॥

न पोत्रै न पुत्रै ॥ न सत्रै न मित्रै ॥
न तातै न मातै ॥ न जातै न पातै ॥१४८॥

नृसाकं सरीक हैं ॥ अमितो अमीक हैं ॥
सदैवं प्रभा हैं ॥ अजै हैं अजा हैं ॥१४९॥

# Jaap Sahib Hindi 150-184

भगवती छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
कि ज़ाहिर ज़हूर हैं ॥ कि हाज़िर हज़ूर हैं ॥
हमेसुल सलाम हैं ॥ समस्तुल कलाम हैं ॥१५०॥

कि साहिब दिमाग हैं ॥ कि हुसनल चराग हैं ॥
कि कामल करीम हैं ॥ कि राज़क रहीम हैं ॥१५१॥

कि रोज़ी दिहिंद हैं ॥ कि राज़क रहिंद हैं ॥
करीमुल कमाल हैं ॥ कि हुसनल जमाल हैं ॥१५२॥

ग़नीमुल ख़िराज हैं ॥ ग़रीबुल निवाज़ हैं ॥
हरफ़िुल शिकंन हैं ॥ हिरासुल फिकंन हैं ॥१५३॥

कलंकं प्रणास हैं ॥ समस्तुल निवास हैं ॥
अगंजुल गनीम हैं ॥ रजायक रहीम हैं ॥१५४॥

समस्तुल जुबां हैं ॥ कि साहिब किरां हैं ॥
कि नरकं प्रणास हैं ॥ बहिसतुल निवास हैं ॥१५५॥

कि सरबुल गवंन हैं ॥ हमेसुल रवंन हैं ॥
तमामुल तमीज हैं ॥ समस्तुल अजीज हैं ॥१५६॥

परं परम ईस हैं ॥
समस्तुल अदीस हैं ॥
अदेसुल अलेख हैं ॥
हमेसुल अभेख हैं ॥१५७॥

ज़मीनुल ज़मां हैं ॥ अमीकुल इमां हैं ॥
करीमुल कमाल हैं ॥ कि जुरअत जमाल हैं ॥१्हू५८॥

कि अचलं प्रकास हैं ॥ कि अमितो सुबास हैं ॥
कि अजब सरूप हैं ॥ कि अमितो बिभूत हैं ॥१५९॥

कि अमितो पसा हैं ॥ कि आत्म प्रभा हैं ॥
कि अचलं अनंग हैं ॥ कि अमितो अभंग हैं ॥१६०॥

मधुभार छंद ॥ त्वप्रसाद ॥ मुन मन प्रनाम ॥ गुन गन मुदाम ॥
अरि बर अगंज ॥ हरि नर प्रभंज ॥१६१॥

अनगन प्रनाम ॥ मुनि मनि सलाम ॥
हरि नर अखंड ॥ बर नर अमंड ॥१६२॥

अनभव अनास ॥ मुनि मनि प्रकास ॥
गुनि गन प्रनाम ॥ जल थल मुदाम ॥१६३॥

अनिछ्ज अंग ॥ आसन अभंग ॥
उपमा अपार ॥ गत मित उदार ॥१६४॥

जल थल अमंड ॥ दिस विस अभंड ॥
जल थल महंत ॥ दिस विस बेअंत ॥१६५॥

अनभव अनास ॥ ध्रित धर धुरास ॥
आजान बाहु ॥ एकै सदाहु ॥१६६॥

ओअंकार आद ॥ कथनी अनाद ॥
खल खंड ख्याल ॥ गुर बर अकाल ॥१६७॥

घर घरि प्रनाम ॥ चित चरन नाम ॥
अनछिज गात ॥ आजिज न बात ॥१६८॥

अनझंझ गात ॥ अनरंज बात ॥
अनटुट तंडार ॥ अनठट अपार ॥१६९॥

आडीठ धर्म ॥ अत ढीठ कर्म ॥
अणब्रण अनंत ॥ दाता महंत ॥१७०॥

हरि बोल मना छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
करुणालय हैं ॥ अरि घालय हैं ॥
खल खंडन हैं ॥ महि मंडन हैं ॥१७१॥

जगतेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥
कलि कारण हैं ॥ सर्ब उबारण हैं ॥१७२॥

ध्रित के ध्रण हैं ॥ जग के क्रण हैं ॥
मन मानिय हैं ॥ जग जानिय हैं ॥१७३॥

सरबं भर हैं ॥ सरबं कर हैं ॥
सरब पासिय हैं ॥ सर्ब नासिय हैं ॥१७४॥

करुणाकर हैं ॥ बिस्वम्भर हैं ॥
सरबेस्वर हैं ॥ जगतेस्वर हैं ॥१७५॥

ब्रहमंडस हैं ॥ खल खंडस हैं ॥
पर ते पर हैं ॥ करुणाकर हैं ॥१७६॥

अजपा जप हैं ॥ अथपा थप हैं ॥
अक्रिताकृत हैं ॥ अमृतामृत हैं ॥१७७॥

अमृतामृत हैं ॥ करुणाकृत हैं ॥
अक्रिताक्रत हैं ॥ धरणीध्रित हैं ॥१७८॥

अमितेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥
अक्रिताकृत हैं ॥ अमृतामृत हैं ॥१७९॥

अजबाकृत हैं ॥ अमृताअमृत हैं ॥
नर नायक हैं ॥ खल घायक हैं ॥१८०॥

बिस्व्मभर हैं ॥ करुणालय हैं ॥
नृप नायक हैं ॥ सर्ब पायक हैं ॥१८१॥

भव भंजन हैं ॥ अरि गंजन हैं ॥
रिप तापन हैं ॥ जप जापन हैं ॥१८२॥

अकलंकृत हैं ॥ सरबाकृत हैं ॥
करता कर हैं ॥ हरता हरि हैं ॥१८३॥

परमातम हैं ॥ सरबातम हैं ॥
आतम बस हैं ॥ जस के जस हैं ॥१८४॥

# Jaap Sahib Hindi 185-199

भुजंग प्रयात छंद ॥
नमो सूरज सुरजे नमो चंद्र चंद्रे ॥
नमो राज राजे नमो इंद्र इंद्रे ॥
नमो अंधकारे नमो तेज तेजे ॥
नमो ब्रिंद ब्रिंदे नमो बीज बीजे ॥१८५॥

नमो राजसं तामसं सांत रूपे ॥
नमो परम तत्तं अततं सरूपे ॥
नमो जोग जोगे नमो ज्ञान ज्ञाने ॥
नमो मंत्र मंत्रे नमो ध्यान ध्याने ॥१८६॥

नमो जुध जुधे नमो ज्ञान ज्ञाने ॥
नमो भोज भोजे नमो पान पाने ॥
नमो कलह करता नमो सांत रूपे ॥
नमो इंद्र इंद्रे अनादं बिभूते ॥१८७॥

कलंकार रूपे अलंकार अलंके ॥
नमो आस आसे नमो बांक बंके ॥
अभंगी सरूपे अनंगी अनामे ॥
त्रिभंगी त्रिकाले अनंगी अकामे ॥१८८॥

एक अछरी छंद ॥
अजै ॥ अलै ॥ अभै ॥ अबै ॥१८९॥
अभू ॥ अजू ॥ अनास ॥ अकास ॥१९०॥
अगंज ॥ अभंज ॥ अलख ॥ अभख ॥१९१॥
अकाल ॥ दयाल ॥ अलेख ॥ अभेख ॥१९२॥
अनाम ॥ अकाम ॥ अगाह ॥ अढाह ॥१९३॥
अनाथे ॥ प्रमाथे ॥ अजोनी ॥ अमोनी ॥१९४॥
न रागे ॥ न रंगे ॥ न रूपे ॥ न रेखे ॥१९५॥
अकर्मं ॥ अभरमं ॥ अगंजे ॥ अलेखे ॥१९६॥

भुजंग प्रयात छंद ॥
नमस्तुल प्रणामे समस्तुल प्रणासे ॥
अगंजुल अनामे समस्तुल निवासे ॥
नृकामं बिभूते ॥ समस्तुल सरूपे ॥
कुकर्मं प्रणासी सुधर्मं बिभूते ॥१९७॥

सदा सच्चिदानंद स्त्रं प्रणासी ॥
करीमुल कुनिंदा समस्तुल निवासी ॥
अजायब बिभूते गजायब गनीमे ॥
हरीअं करीअं करीमुल रहीमे ॥१९८॥

च्त्र चक्र वरती च्त्र चक्र भुगते ॥
सुयंभव सुभं सर्बदा सर्ब जुगते ॥
दुकालं प्रणासी दयालं सरूपे ॥
सदा अंग संगे अभंगं बिभूते ॥१९९॥

The Review

Jaap Sahib Complete Path in Hindi

5 Score

Looking for the entire Nitnem Path of Jaap Sahib in the Hindi Language with Correct Phonetics? We have re-written the text for the convenience of people who can't read Gurmukhi.

Review Breakdown

  • Complete Path
  • Hindi Phonetics
  • Reading Experience
Tags: jaap sahibjaap sahib and japji sahibjaap sahib banijaap sahib dekho jijaap sahib full path in hindijaap sahib full path lyricsjaap sahib in hindijaap sahib in hindi pdfjaap sahib kiski rachna haijaap sahib nitnemjaap sahib pathjaap sahib path pdfjaap sahib pdf
Previous Post

Happy Hola Mohalla 2022 | Wishes | History | Significance

Next Post

Guru Har Rai Gurgaddi Divas 2022 Wishes

Relevant Entries

Gagan Mein Thaal Aarti Lyrics in English and Hindi
Gurbani Lyrics

Gagan Mein Thaal Aarti Lyrics in Hindi, English

January 26, 2023
Aarti Lyrics - Gagan Mein Thaal - Satinder Sartaaj - Gurbani Quote
Gurbani Lyrics

Aarti Lyrics in Punjabi – Satinder Sartaj | Gagan Mein Thaal

Mil Mere Preetma Jiyo Lyrics Gurbani
Gurbani Lyrics

Mil Mere Preetma Jiyo Lyrics

Next Post
Guru Har Rai Gurgaddi Divas 2022 Wishes

Guru Har Rai Gurgaddi Divas 2022 Wishes

Leave Comment

Daily Mukhwak Harmandir Sahib

Nigunia No Aape Bakhsh Laye Bhai

by Sikhizm
February 1, 2023
0
Nigunia No Aape Baksh Lai

Nigunia No Aape Bakhsh Laye Bhai, Satguru Ki Sewa Laye; Baani Sahib Sri Guru Amardas Ji, documented on Ang 638...

Read more
  • Trending
  • Comments
  • Latest
Ardas in Punjabi

Ardas in Punjabi | Sikh Prayer

March 26, 2022
So Satgur Pyara Mere Naal Hai Lyrics

So Satgur Pyara Mere Naal Hai Lyrics | Shabad Gurbani

July 14, 2021
Mere Saha | ਮੇਰੇ ਸਾਹਾ ਮੈ ਹਰਿ ਦਰਸਨ ਸੁਖੁ ਹੋਇ | Gurbani Lyrics

Mere Saha | ਮੇਰੇ ਸਾਹਾ ਮੈ ਹਰਿ ਦਰਸਨ ਸੁਖੁ ਹੋਇ | Gurbani Lyrics

August 8, 2022
Sikh Ardas in English

Ardas in English | Sikh Prayer in Roman Translation

March 13, 2022
Vin Boleya Sabh Kish Janda Lyrics

Vin Boleya Sabh Kish Janda Lyrics | Shabad Gurbani

June 6, 2021
Bhagat Ravidas Jayanti 2023

Ravidas Jayanti 2023 Wishes | Images | Gurbani Quotes

January 29, 2023
Gagan Mein Thaal Aarti Lyrics in English and Hindi

Gagan Mein Thaal Aarti Lyrics in Hindi, English

January 26, 2023
Why Sikhs Wear Turban

Why Sikhs Wear Turbans – Significance of the Dastaar in Sikhism

January 25, 2023
Baba Deep Singh Ji Life Journey History Martyrdom

Baba Deep Singh Ji: Life History and Martyrdom

January 24, 2023
Aarti Lyrics - Gagan Mein Thaal - Satinder Sartaaj - Gurbani Quote

Aarti Lyrics in Punjabi – Satinder Sartaj | Gagan Mein Thaal

January 24, 2023

Editor's Pick

Death Anniversary of Maharaja Ranjit Singh 2022

Maharaja Ranjit Singh Death Anniversary 2022

Nanakshahi Calendar 2023

Nanakshahi Calendar 2023

January 25, 2023
Vin Boleya Sabh Kish Janda Lyrics

Vin Boleya Sabh Kish Janda Lyrics | Shabad Gurbani

About Sikhizm

Sikhizm is a Website and Blog delivering Daily Hukamnamah from Sri Darbar Sahib, Harmandir Sahib (Golden Temple, Sri Amritsar Sahib), Translation & Transliteration of Guru Granth Sahib, Gurbani Videos, Facts and Articles on Sikh Faith, Books in PDF Format related to Sikh Religion and Its History.

Recent Downloads

Guru Ravidas Jayanti 2023 Image

Bhagat Ravidas Jayanti 2023 Wishes Image

Baba Deep Singh Ji Janam Din 2023 Greeting Image

Baba Deep Singh Ji Birthday 2023 Wishes Image

Mere Saha Gurbani Wallpaper Download

Recent Posts

Ravidas Jayanti 2023 Wishes | Images | Gurbani Quotes

Gagan Mein Thaal Aarti Lyrics in Hindi, English

Why Sikhs Wear Turbans – Significance of the Dastaar in Sikhism

Baba Deep Singh Ji: Life History and Martyrdom

Aarti Lyrics in Punjabi – Satinder Sartaj | Gagan Mein Thaal

  • Nanakshahi 2023
  • Sangrand
  • Puranmashi
  • Gurpurabs
  • Masya

© 2023 Sikhizm.

No Result
View All Result
  • Sikhism Beliefs
    • Body, Mind and Soul
    • Eating Meat
    • Holy Book of Sikhs
    • Karma, Free Will and Grace
    • Miri-Piri Principle
  • 10 Gurus
    • Guru Nanak Dev Ji
    • Guru Angad Dev Ji
    • Guru Amar Das Ji
    • Guru Ramdas Ji
    • Guru Arjan Dev Ji
    • Guru Hargobind Sahib Ji
    • Guru Har Rai Ji
    • Guru Harkrishan Sahib Ji
    • Guru Tegh Bahadur Ji
    • Guru Gobind Singh Ji
  • Gurbani Lyrics
  • Sikh History
    • Facts
  • Hukamnama
    • Hukamnama PDF
  • Downloads
    • PDF Books
    • Gurpurab Images
    • Gurbani Wallpaper
  • Calendar
    • Nanakshahi 2023
    • Gurpurab
    • Sangrand
    • Puranmashi
  • About Us
  • Contact Us

© 2023 Sikhizm.