Jaap Sahib in Hindi
Jaap Sahib Hindi: This Baani is included in the routine Path every Gursikh does according to the Rehatnama accepted by SGPC. This is one of the most important Baani from Dasam Granth, which is recited by Panj Pyare Sahiban during the Amrit Sanchar Ceremony while preparing the Pahul of Khanda-Bata.
Differences Between Japji Sahib and Jaap Sahib
Japji Sahib | Jaap Sahib |
---|---|
First Baani in Guru Granth Sahib is Japji Sahib, composed by Guru Nanak Dev Ji, Edited by Guru Angad Dev Ji | In Dasam Granth, First Baani is Jaap Sahib credited to Guru Gobind Singh Ji. |
Japji Sahib consists of 38 Pauris or Steps, with One Manglacharn or Mool Mantra and One Exit Shloka. | Jaap Sahib has 199 Stanzas and is longer than Japji Sahib. |
Japji Sahib is composed in the typical Punjabi Language of the time. | It is written in Braj Bhasha, Sanskrit, and Arabic. |
Japji Sahib is the core juice of Guru Granth Sahib, very deep in meaning, and helps a Gursikh to attain the ultimate seat in Sachkhand. | On the other hand, Jaap Sahib is mostly praise of God with 100s of names and his traits. |
There is no raaga in Japji Sahib. | Jaap Sahib is composed of various Chhands. |
Jaap Sahib Hindi
श्री वाहिगुरू जी की फ़तह ॥
जाप ॥
श्री मुखवाक पातिसाही १० ॥
छपै छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
चक्र चिह्न अर बरन जात अर पात नहिन जिह ॥
रूप रंग अर रेख भेख कोऊ कहि न सकत किह ॥
अचल मूरत अनभौ प्रकास अमितोज कहिजै ॥
कोट इंद्र इंद्राण साहु साहाण गणिजै ॥
त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेत नेत बन त्रिण कहत ॥
त्व सर्ब नाम कथै कवन कर्म नाम बरणत सुमत ॥१॥
भुजंग प्रयात छंद ॥ नमस्त्वं अकाले ॥
नमस्त्वं कृपाले ॥ नमस्त्वं अरूपे ॥
नमस्त्वं अनूपे ॥२॥
नमस्तं अभेखे ॥ नमस्तं अलेखे ॥
नमस्तं अकाए ॥ नमस्तं अजाए ॥३॥
नमस्तं अगंजे ॥ नमस्तं अभंजे ॥
नमस्तं अनामे ॥ नमस्तं अठामे ॥४॥
नमस्तं अकर्मं ॥ नमस्तं अधर्मं ॥
नमस्तं अनामं ॥ नमस्तं अधामं ॥५॥
नमस्तं अजीते ॥ नमस्तं अभीते ॥
नमस्तं अबाहे ॥ नमस्तं अढाहे ॥६॥
नमस्तं अनीले ॥ नमस्तं अनादे ॥
नमस्तं अछेदे ॥ नमस्तं अगाधे ॥७॥
नमस्तं अगंजे ॥ नमस्तं अभंजे ॥
नमस्तं उदारे ॥ नमस्तं अपारे ॥८॥
नमस्तं सु एकै ॥ नमस्तं अनेकै ॥
नमस्तं अभूते ॥ नमस्तं अजूपे ॥९॥
नमस्तं नृकर्मे ॥ नमस्तं नृभरमे ॥
नमस्तं नृदेसे ॥ नमस्तं नृभेसे ॥१०॥
नमस्तं नृनामे ॥ नमस्तं नृकामे ॥
नमस्तं नृधाते ॥ नमस्तं नृघाते ॥११॥
नमस्तं नृधूते ॥ नमस्तं अभूते ॥
नमस्तं अलोके ॥ नमस्तं असोके ॥१२॥
नमस्तं नृतापे ॥ नमस्तं अथापे ॥
नमस्तं त्रिमाने ॥ नमस्तं निधाने ॥१३॥
नमस्तं अगाहे ॥ नमस्तं अबाहे ॥
नमस्तं त्रिबरगे ॥ नमस्तं असरगे ॥१४॥
नमस्तं प्रभोगे ॥ नमस्तं सुजोगे ॥
नमस्तं अरंगे ॥ नमस्तं अभंगे ॥१५॥
नमस्तं अगमे ॥ नमस्तस्त रमे ॥
नमस्तं जलासरे ॥ नमस्तं निरासरे ॥१६॥
नमस्तं अजाते ॥ नमस्तं अपाते ॥
नमस्तं अमजबे ॥ नमस्तस्त अजबे ॥१७॥
नमस्तं अभेसे ॥ नमस्तं नृधामे ॥
नमस्तं नृबामे ॥१८॥
नमो सर्ब काले ॥ नमो सर्ब दयाले ॥
नमो सर्ब रूपे ॥ नमो सर्ब भूपे ॥१९॥
नमो सर्ब खापे ॥ नमो सर्ब थापे ॥
नमो सर्ब काले ॥ नमो सर्ब पाले ॥२०॥
नमस्तस्त देवै ॥ नमस्तं अभेवै ॥
नमस्तं अजनमे ॥ नमस्तं सुबनमे ॥२१॥
नमो सर्ब गौने ॥ नमो सर्ब भौने ॥
नमो सर्ब रंगे ॥ नमो सर्ब भंगे ॥२२॥
नमो काल काले ॥ नमस्तस्त दयाले ॥
नमस्तं अबरने ॥ नमस्तं अमरने ॥२३॥
नमस्तं जरारं ॥ नमस्तं कृतारं ॥
नमो सर्ब धंधे ॥ नमो सत अबंधे ॥२४॥
नमस्तं नृसाके ॥ नमस्तं नृबाके ॥
नमस्तं रहीमे ॥ नमस्तं करीमे ॥२५॥
नमस्तं अनंते ॥ नमस्तं महंते ॥
नमस्तस्त रागे ॥ नमस्तं सुहागे ॥२६॥
नमो सर्ब सोखं ॥ नमो सर्ब पोखं ॥
नमो सर्ब करता ॥ नमो सर्ब हरता ॥२७॥
नमो जोग जोगे ॥ नमो भोग भोगे ॥
नमो सर्ब दयाले ॥ नमो सर्ब पाले ॥२८॥
चाचरी छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
अरूप हैं ॥ अनूप हैं ॥
अजू हैं ॥ अभू हैं ॥२९॥
अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥
अनाम हैं ॥ अकाम हैं ॥३०॥
अधे हैं ॥ अभे हैं ॥
अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥३१॥
त्रिमान हैं ॥ निधान हैं ॥
त्रिबरग है ॥ असरग हैं ॥३२॥
अनील हैं ॥ अनाद हैं ॥
अजे हैं ॥ अजाद हैं ॥३३॥
अजनम हैं ॥ अबरन हैं ॥
अभूत हैं ॥ अभरन हैं ॥३४॥
अगंज हैं ॥ अभंज हैं ॥
अझूझ हैं ॥ अझंझ हैं ॥३५॥
अमीक हैं ॥ रफ़ीक हैं ॥
अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥३६॥
नृबूझ हैं ॥ असूझ हैं ॥
अकाल हैं ॥ अजाल हैं ॥३७॥
अलाह हैं ॥ अजाह हैं ॥
अनंत हैं ॥ महंत हैं ॥३८॥
अलीक हैं ॥ नृश्रीक हैं ॥
नृलंभ हैं ॥ असंभ हैं ॥३९॥
अगम हैं ॥ अजम हैं ॥
अभूत हैं ॥ अछूत हैं ॥४०॥
अलोक हैं ॥ असोक हैं ॥
अकर्म हैं ॥ अभरम हैं ॥४१॥
अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥
अबाह हैं ॥ अगाह हैं ॥४२॥
अमान हैं ॥ निधान हैं ॥
अनेक हैं ॥ फिरि एक हैं ॥४३॥
भुजंग प्रयात छंद ॥ नमो सर्ब माने ॥
समसती निधाने ॥ नमो देव देवे ॥
अभेखी अभेवे ॥४४॥
नमो काल काले ॥ नमो सर्ब पाले ॥
नमो सर्ब गौणे ॥ नमो सर्ब भौणे ॥४५॥
अनंगी अनाथे ॥ नृसंगी प्रमाथे ॥
नमो भान भाने ॥ नमो मान माने ॥४६॥
नमो चंद्र चंद्रे ॥ नमो भान भाने ॥
नमो गीत गीते ॥ नमो तान ताने ॥४७॥
नमो नृ्त नि्रते ॥ नमो नाद नादे ॥
नमो पान पाने ॥ नमो बाद बादे ॥४८॥
अनंगी अनामे ॥ समसती सरूपे ॥
प्रभंगी प्रमाथे ॥ समसती बिभूते ॥४९॥
कलंकं बिना नेकलंकी सरूपे ॥
नमो राज राजेस्वरं परम रूपे ॥५०॥
नमो जोग जोगेस्वरं परम सि्धे ॥
नमो राज राजेस्वरं परम ब्रिधे ॥५१॥
नमो ससत्र पाणे ॥ नमो असत्र माणे ॥
नमो परम ज्ञाता ॥ नमो लोक माता ॥५२॥
अभेखी अभरमी अभोगी अभुगते ॥
नमो जोग जोगेस्वरं परम जुगते ॥५३॥
नमो नि्त नाराइणे करूर कर्मे ॥
नमो प्रेत अप्रेत देवे सुधर्मे ॥५४॥
नमो रोग हरता ॥ नमो राग रूपे ॥
नमो साह साहं ॥ नमो भूप भूपे ॥५५॥
नमो दान दाने ॥ नमो मान माने ॥
नमो रोग रोगे ॥ नमस्तं सनाने ॥५६॥
नमो मंत्र मंत्रं ॥ नमो जंत्र जंत्रं ॥
नमो इसट इसटे ॥ नमो तंत्र तंत्रं ॥५७॥
सदा स्चदानंद सरबं प्रणासी ॥
अनूपे अरूपे समस्तुल निवासी ॥५८॥
सदा सिधिदा बुधिदा ब्रिधि करता ॥
अधो उरध अरधं अघं ओघ हरता ॥५९॥
परं परम परमेस्वरं प्रोछ पालं ॥
सदा सर्बदा सिधि दाता दयालं ॥६०॥
अछेदी अभेदी अनामं अकामं ॥
समसतो पराजी समसतसतु धामं ॥६१॥
तेरा जोर ॥ चाचरी छंद ॥ जले हैं ॥
थले हैं ॥ अभीत हैं ॥ अभे हैं ॥६२॥
प्रभू हैं ॥ अजू हैं ॥
अदेस हैं ॥ अभेस हैं ॥६३॥
भुजंग प्रयात छंद ॥
अगाधे अबाधे ॥ अनंदी सरूपे ॥
नमो सर्ब माने ॥ समसती निधाने ॥६४॥
नमस्त्वं नृनाथे ॥ नमस्त्वं प्रमाथे ॥
नमस्त्वं अगंजे ॥ नमस्त्वं अभंजे ॥६५॥
नमस्त्वं अकाले ॥ नमस्त्वं अपाले ॥
नमो सर्ब देसे ॥ नमो सर्ब भेसे ॥६६॥
नमो राज राजे ॥ नमो साज साजे ॥
नमो साह साहे ॥ नमो माह माहे ॥६७॥
नमो गीत गीते ॥ नमो प्रीत प्रीते ॥
नमो रोख रोखे ॥ नमो सोख सोखे ॥६८॥
नमो सर्ब रोगे ॥ नमो सर्ब भोगे ॥
नमो सर्ब जीतं ॥ नमो सर्ब भीतं ॥६९॥
नमो सर्ब ज्ञानं ॥ नमो परम तानं ॥
नमो सर्ब मंत्रं ॥ नमो सर्ब जंत्रं ॥७०॥
नमो सर्ब द्रि्सं ॥ नमो सर्ब कृ्सं ॥
नमो सर्ब रंगे ॥ त्रिभंगी अनंगे ॥७१॥
नमो जीव जीवं ॥ नमो बीज बीजे ॥
अखि्जे अभि्जे ॥ समस्तं प्रसि्जे ॥७२॥
कृपालं सरूपे ॥ कुकर्मं प्रणासी ॥
सदा सर्बदा रिध सिधं निवासी ॥७३॥
चरपट छंद ॥ त्वप्रसाद ॥
अमृत कर्मे ॥ अंब्रित धर्मे ॥
अखिल जोगे ॥ अचल भोगे ॥७४॥
अचल राजे ॥ अटल साजे ॥
अखल धर्मं ॥ अलख कर्मं ॥७५॥
सरबं दाता ॥ सरबं ज्ञाता ॥
सरबं भाने ॥ सरबं माने ॥७६॥
सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥
सरबं भुगता ॥ सरबं जुगता ॥७७॥
सरबं देवं ॥ सरबं भेवं ॥
सरबं काले ॥ सरबं पाले ॥७८॥