Jap Man Har Har Naam Nit Dhiaye
Mukhwak Sri Guru Ramdas Ji: Jap Man Har Har Naam Nit Dhiaye, Jo Ichhe Soyi Fal Paaveh, Phir Dookh Na Laage Aaye; Raag Bairari @Page 720 of Sri Guru Granth Sahib.
Hukamnama | Jap Man Har Har Naam Nit Dhyaye |
Place | Darbar Sri Harmandir Sahib Ji, Amritsar |
Ang | 720 |
Creator | Sri Guru Ramdas Ji |
Raag | Bairari |
Date CE | 12 May 2024 |
Date Nanakshahi | 30 Vaisakh 556 |
English Translation¹
Bairari Mahala - 4th (Jap Man Har Har Naam Nit Dhiaye...)
Oh, my mind! Let us recite the True Name of the Lord every day. By reciting the Lord's True Name we could get all our desires fulfilled and attain such a reward that all our sufferings would come to an end. (Pause - 1)
All the worship, penance, meditation and keeping fasts is worthwhile only when we inculcate the love of the Lord in our hearts, as all other love except the devotion of the Lord is false and temporary and gets lost in no time or fades away completely. (1)
O Lord! You are limitless, being all-powerful, and Your Greatness and vastness, including the enormous beauty of Nature, is beyond the comprehension and reach of the man. O Nanak! I have sought the support of the True Lord. O Lord! May we accept with pleasure all our circumstances and plight (as it pleases You) as per Your Will, thus granting us salvation from worldly bondage. (2-6)
Hindi Translation
बैराड़ी महला ४ ॥ जप मन हर हर नाम नित ध्याए ॥ जो इच्छह सोई फल पावह फिर दूख न लागै आए ॥१॥ रहाओ ॥ सो जप सो तप सा ब्रत पूजा जित हर स्यो प्रीत लगाए ॥ बिन हर प्रीत होर प्रीत सभ झूठी इक खिन मह बिसर सभ जाए ॥१॥ तू बेअंत सरब कल पूरा किछ कीमत कही न जाए ॥ नानक सरण तुम्हारी हरि जीओ भावै तिवै छडाए ॥२॥६॥
Meaning in Hindi²
हे (मेरे) मन! हमेशा भगवान का नाम जप, भगवान पर ध्यान केंद्रित कर, जो भी तू (उस भगवान से) मांगेंगा, वह तुझे मिलेगा। कोई दुःख आकर तुम्हें छू न सकेगा ((विश्राम))
रे मन! जिस ध्यान के आशीर्वाद से भगवान में प्रेम बना रहता है, वह ध्यान-सिमरन ही जप तप व्रत है, और पूजा है। भगवान के चरणों के प्रेम (जप, तप आदि) के अतिरिक्त अन्य प्रेम मिथ्या है, वह प्रेम एक क्षण में भूल जाता है।
हे नानक! कहो- हे प्रभु! आप अनंत हैं, आप सभी शक्तियों से परिपूर्ण हैं, आपकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। मैं (नानक) आपकी शरण में आया हूँ, आप मुझे अपने चरणों के अतिरिक्त किसी भी अन्य प्रेम से बचाइये।
Translation in Punjabi³
ਬੈਰਾੜੀ ਚੌਥੀ ਪਾਤਿਸ਼ਾਹੀ ॥ ਹੇ ਮੇਰੀ ਜਿੰਦੜੀਏ! ਨਿਤਾਪ੍ਰਤੀ ਪ੍ਰਭੂ ਪਰਮੇਸ਼ਰ ਦੇ ਨਾਮ ਦਾ ਉਚਾਰਨ ਤੇ ਸਿਮਰਨ ਕਰ ॥ ਤੂੰ ਉਹ ਫਲ ਪਾਵੇਗੀ ਜਿਹੜੇ ਤੂੰ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਅਤੇ ਮੁੜ ਕੇ ਤੈਨੂੰ ਦੁੱਖ ਨਹੀਂ ਵਿਆਪੇਗਾ ॥ ਠਹਿਰਾਉ ॥
ਓਹੀ ਸੱਚਾ ਸਿਮਰਨ, ਸੱਚੀ ਤੱਪਸਿਆ ਸੱਚਾ ਉਪਹਾਸ ਤੇ ਸਚੀ ਉਪਾਸ਼ਨਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਭੂ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ॥ ਪ੍ਰਭੂ ਦੇ ਪਿਆਰ ਦੇ ਬਗੈਰ, ਹੋਰ ਹਰ ਇਕ ਪਿਆਰ ਕੂੜਾ ਹੈ ॥ ਇਸ ਮੁਹਤ ਵਿੱਚ ਇਹ ਸਾਰਾ ਪਿਆਰ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ॥ ਤੂੰ ਅਨੰਤ ਤੇ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਕਤੀਆਂ ਨਾਲ ਪਰੀਪੂਰਨ ਹੈ ॥ ਤੇਰਾ ਭੋਰਾ ਭਰ ਮੁਲ ਭੀ ਆਖਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ॥ ਹੇ ਮਹਾਰਾਜ ਮਾਲਕ! ਨਾਨਕ ਨੇ ਤੇਰੀ ਸ਼ਰਣਾਗਤਿ ਸੰਭਾਲੀ ਹੈ ॥ ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੈਨੂੰ ਚੰਗਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ, ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਤੂੰ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਅਭੇਦ ਕਰ ਲੈਂ ॥
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To read a detailed Punjabi Translation by Prof. Sahib Singh Ji, Please download the PDF given below:
Resources: 1. English Translation by Gurbachan Singh Makin 2. Hindi Trans. inspired by Prof Sahib Singh 3. Punjabi Translation by Manmohan Singh.