Madho Hum Ese Tu Esa Hindi Lyrics
माधो हम ऐसे तू ऐसा, गुरु ग्रंथ साहिब जी की वाणी में से उद्धृत एक बहुत ही प्यारा शब्द है। इसे गाया है भाई अनंतवीर सिंह जी व भाई अमोलक सिंह जी ने। इस कीर्तन की विशेषता यह है कि इसमें गुरु ग्रंथ साहिब और दसम ग्रंथ दोनों की रचनाओं का अत्यंत वैराग्यमई गायन किया गया है जो श्रोता को निरंतर स्वयं से जोड़े रखता है।
शब्द गुरबाणी | माधो हम ऐसे तू ऐसा |
गायक | भाई अनंतवीर सिंह जी, भाई अमोलक सिंह जी |
एलबम | Live Performance |
बोल | गुरु अर्जुन देव जी, अन्य |
गुरु ग्रंथ अंग | 613, अन्य |
अनुवाद | English-Punjabi, Hindi |
लिप्यंतरण | Punjabi-English, Hindi |
लेबल | नाम सिमरन |
वर्ष | 2018 |
अवधि | 14:54 |
Madho Lyrics in Hindi
हम पापी तुम पाप खंडन
नीको ठाकुर देसा
माधो माधो... माधो माधो...
हम ऐसे तू ऐसा
हम मैले तुम ऊजल करते
हम निर्गुण तू दाता
हम मूर्ख तुम चतुर सयाणे
तुम चतुर सयाणे तुम चतुर सयाणे
तू सरब कला का ज्ञाता
माधो माधो... माधो माधो...
हम ऐसे तू ऐसा
माधो हम ऐसे तू ऐसा
हम पापी, तुम पाप खण्डन
नीको ठाकुर देसा
माधो माधो... माधो माधो...
माधो हम ऐसे तू ऐसा
तुम सभ साजे साज निवाजे
जीओ पिण्ड दे प्राना
निर्गुणियारे गुण नहीं कोई
गुण नहीं कोई... गुण नहीं कोई...
हम अवगुण भरे, एक गुण नाही
एक गुण नाही... एक गुण नाही...
अमृत छाड बिखै बिख खाई
माया मोह भरम पै भूले
सुत दारा सियो प्रीत लगाई
इक उत्तम पंथ सुनेओ गुर संगत
तिह मिलंत जम त्रास मिटाई
इक अरदास भाट कीरत की
गुर रामदास राखहु सरणाई
गुर रामदास... गुर रामदास...
गुर रामदास... गुर रामदास...
निर्गुणियारे गुण नहीं कोई
तुम दान देहु मिहरवाना
माधो माधो... माधो माधो...
हम ऐसे तू ऐसा
माधो हम ऐसे तू ऐसा
तुम करहु भला हम भला न जानह
तुम सदा सदा दयाला
तुम सुखदाई पुरख बिधाते
तुम राखहु अपने बाला
रामैया, हौं बारिक तेरा
रामैया, हौं बारिक तेरा
वाहेगुरु जी, हौं बारिक तेरा
वाहेगुरु जी, हौं बारिक तेरा
काहे न खंडस अवगण मेरा
काहे न खंडस अवगण मेरा
सुत अपराध करत है जेते
जननी चीत न राखस तेते
रामैया, हौं बारिक तेरा
रामैया, हौं बारिक तेरा
तुम राखहु अपने बाला
माधो माधो... माधो माधो...
माधो माधो... माधो माधो...
वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु (सिमरन)
तुम निधन अटल सुल्तान
जीअ जंत सभ जाचै
धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी...
तुम हो सभ राजन के राजा
राजन के राजा महाराजन के महाराजा
राजन के राजा महाराजन के महाराजा
एसो राज छोड और दूजा कौन धियाइए
एसो राज छोड और दूजा कौन धियाइए
राजन के राजा महाराजन के महाराजा
महाराजन के महाराजा
राजान राज, भानान भान
देवान देव, उपमा महान
राजान राज, भानान भान
देवान देव, उपमा महान
तेरे कवन कवन गुण कह कह गावां
तू साहिब गुणी निधाना
तुमरी महिमा बरन न साकौं
तू ठाकुर ऊच भगवाना
धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी...
धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी...
तुम निधन अटल सुल्तान
जीअ जंत सभ जाचै
कहो नानक हम इहै हवाला
कहो नानक हम इहै हवाला
राख संतन कै पाछै
माधो माधो... माधो माधो...
माधो माधो... माधो माधो...
हम ऐसे तू ऐसा
माधो हम ऐसे तू ऐसा
हम पापी तुम पाप खंडन
तुम पाप खंडन... तुम पाप खंडन...
धन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी...
तुम पाप खंडन... तुम पाप खंडन...
नीको ठाकुर देसा
माधो माधो... माधो माधो...
माधो हम ऐसे तू ऐसा
हम पापी तुम पाप खंडन
नीको ठाकुर देसा
माधो माधो... माधो माधो...
हम ऐसे तू ऐसा
वाहेगुरु जी हम ऐसे तू ऐसा
Original Sources
Gurmukhi to Hindi Translation
Source #1
Source
Sri Guru Granth Sahib Ji
Section
Raag Sorath
Sub Section
Mahalla 5th
Page
613
Author
Guru Arjan Dev Ji
हम मैले तुम ऊजल करते हम निरगुन तू दाता ॥
हे पतितपावन ! हम पापों की मैल से मलिन हैं और तुम ही हमें पवित्र करते हो। हम निर्गुण हैं और तू हमारा दाता है।
हम मूरख तुम चतुर सिआणे तू सरब कला का गिआता ॥१॥
हम मूर्ख हैं, पर तुम चतुर-सियाने हो। तुम ही सर्वकला के ज्ञाता हो ॥ १॥
माधो हम ऐसे तू ऐसा ॥
हे ईश्वर ! हम जीव ऐसे नीच हैं और तुम ऐसे (सर्वकला सम्पूर्ण) हो।
हम पापी तुम पाप खंडन नीको ठाकुर देसा ॥ रहाउ ॥
हम बड़े पापी हैं और तुम पापों का नाश करने वाले हो। हे ठाकुर जी ! तेरा निवास स्थान मनोरम है॥ रहाउ॥
तुम सभ साजे साजि निवाजे जीउ पिंडु दे प्राना ॥
हे परमेश्वर ! तुम ही आत्मा, शरीर एवं प्राण देकर सबकी रचना करके निवाजते हो।
निरगुनीआरे गुनु नही कोई तुम दानु देहु मिहरवाना ॥२॥
हे मेहरबान प्रभु ! हम गुणविहीन हैं और कोई भी गुण हमारे भीतर विद्यमान नहीं।अतः हमें गुणों का दान दीजिए॥ २॥
तुम करहु भला हम भलो न जानह तुम सदा सदा दइआला ॥
हे दीनदयालु ! हम जीवों का तुम भला ही करते हो परन्तु हम तुच्छ जीव तेरे भले को नहीं समझते। तुम हम पर सर्वदा ही दयावान हो।
तुम सुखदाई पुरख बिधाते तुम राखहु अपुने बाला ॥३॥
हे परमपुरुष विधाता ! तुम हमें सुख-समृद्धि प्रदान करने वाले हो, इसलिए तुम अपनी संतान की रक्षा करना ॥ ३॥
तुम निधान अटल सुलितान जीअ जंत सभि जाचै ॥
हे ईश्वर ! तुम गुणों के कोष हो, अटल सुल्तान हो और समस्त जीव तेरे समक्ष तुझ से ही (भिक्षा) माँगते हैं।
कहु नानक हम इहै हवाला राखु संतन कै पाछै ॥४॥६॥१७॥
नानक का कथन है कि हे परमेश्वर ! हम जीवों का यही हाल है। अतः तुम हम पर अपार कृपा करके हमें संतों के मार्ग पर चलाओ ॥४॥६॥१७॥
For Other Sources, Please Visit the Original Punjabi-English Lyrics Page.