जीवन वृत्तान्त गुरु गोबिन्द सिंह जी
Download Jeevan Vritant Guru Gobind Singh Ji - Biography of Guru Gobind Singh Ji written in the Hindi Language by S. Jasbir Singh in PDF Format. Book has been published by Krantikari Guru Nanak Dev Charitable Trust, Chandigarh.
Book | Jeevan Vritant Guru Gobind Singh Ji |
Writer | S. Jasbir Singh |
Genre | Biography, Sikh History |
Pages | 241 |
Language | Hindi |
Script | Devnagari |
Size | 929 KB |
Format | |
Publisher | K.G.N.D. Charitable Trust, Chandigarh |
साहिब श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी का प्रकाश; जन्म पौष सुदी सप्तमी; 23 पौष संवत 1723 बिक्रमी; 22 दिसम्बर सन् 1666 ईस्वी को बिहार प्रांत की राजधनी पटना साहब में माता गुजरी की कोख से, पिता श्री गुरू तेग बहादुर साहब जी के गृह में हुआ।
पंजाब में जिले सिरहिन्द के ग्राम घुड़ाम में एक सूफी फ़कीर भीखन शाह जी एक दिन अर्धरात्रि के समय प्रभु चरणों में ध्यान मग्न थे तो उस समय उन्हें आभास हुआ कि प्रभु से दिव्य ज्योति प्राप्त कर एक महान विभूति मानव रूप धारण कर प्रकाशमान हो रही है। उन्होनें तुरन्त ज्योतिपुंज की ओर सजदा, मस्तक झुकाना किया। और तत्काल निर्णय लिया कि वे उस बाल गोबिंद रूप पराक्रमी व्यक्ति के दीदार करने चलेगें।
प्रातः काल जब उनके मुरीदों ने उन पर प्रश्न किया, हे! पीर जी आपने अर्धरात्रि को सजदा प्रथा के अनुसार पश्चिम दिशा की ओर नहीं किया बल्कि उसके विपरीत पूर्व दिशा में किया है ऐसा क्यो? उत्तर में पीर जी ने कहा, मैं जिस शक्ति की आराधना करता हूँ वह स्वयं मानव रूप में इस पृथ्वी पर प्रकाशमान हो रही थी तो मुझे उनकी ओर सजदा करना ही था।
Index of Book
1. भूमिका
2. पृष्ठ भूमि
प्रथम अध्याय
3. प्रकाश
4. बाल्यकाल
5. पण्डित शिवदत्त जी
6. गोबिन्द राय की निर्भीकता
7. सोभग्यवती रानी विश्वम्भरा
8. गुरू परिवार की पंजाब वापसी
9. पीर आरफदीन जी
10. प्रारम्भिक शिक्षा
11. औरंगजेब द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार
12. गुरू दरबार में कश्मीरी पण्डितों की पुकार
13. भय काहू कौ देत नहिं, नहिं भय मानत आन।
14. भाई मती दास जी की शहीदी
15. शहीदी भाई दयाला जी
16. शहीदी भाई सती दास जी
17. गुरू तेग बहादुर साहब जी की शहीदी
द्वितीय अध्याय
18. गुरु गद्दी अलंकृत समारोह
19. राजा राम सिंह द्वारा घोड़े भेंट
20. भाई लखी शाह
21. गोबिन्द राय जी का समय और परिस्थितियां
22. जल क्रीड़ाएं
23. गुरू की त्रिवेणी
24. राजा रतन राय
25. विवाह
26. रणजीत नगारा
27. अफ्गानिस्तान की संगत
28. भीमचन्द की दुविधा
29. शेर का शिकार
30. भीमचन्द का असफल छल
31. कालसी का ऋषि
32. नाहन नगर में पदार्पण
33. पीर बुद्ध शाह
34. साहबजादा अजीत सिंघ का जन्म
35. निर्मला अभियान
36. राम राय के संग भेंट
37. कपाल मोचन
38. राम राय की मृत्यु
39. नरेश फतेहशाह की लड़की के विवाह का निमन्त्रण
40. कालसी ऋषि का निधन
41. बारात का प्रस्थान
42. पाऊँटा नगर में साहित्य की उत्पत्ति
43. भंगाणी रणक्षेत्र बन गया
42. भंगाणी का युद्ध
45. रायपुर की रानी
46. नाडू शाह
तृतीय अध्याय
47. आनन्दपुर में प्रवेश
48. भीमचन्द ने मैत्री का प्रस्ताव भेजा
49. होला-मोहल्ला
50. ठाकुर का प्रकोप
51. भाई नन्दलाल जी 'गोया'
52. गुरूदेव का विद्या दरबार
53. कवियों तथा गुरू गोबिन्द सिंघ के संवाद
54. लंगर की परीक्षा
55. कड़ाह प्रसाद को लूटने का आदेश
56. ज्ञान की रहस्यमय कुंजी
57. समृद्ध युवक को सेवा करने की प्रेरणा
58 विनोदी गुरूदेव जी का उचित निर्णय
59 लाहौरा सिंघ की शुद्धि
60. बजरूड़ का उद्धार
61. भाई जय सिंघ
62. भालू को मोक्ष प्रदान
63. काज़ी सलारदीन की आशंका निवृत्त
64. खालसे की माता
65. मसंद श्रेणी पर प्रतिबन्ध्
66. नादौन का युद्ध
67. गुलेर के युद्ध में गुरूदेव का सहयोग
68 मुअज़म; बहादुरशाह का पर्वतीय नरेशों पर आक्रमण
69. राजा भीम चन्द का देहान्त और देवीचन्द
70. दादी मां नानकी जी का निधन
71. देवी प्रकट करने की विडम्बना
72. गुरूदेव का मुख्य लक्ष्य
73. खालसा पंथ की सृजना
74. आपे गुरू चेला
75. रहित मर्यादा का महत्त्व
76. दम्भी सिक्खों द्वारा विरोध्
77. सैद्धान्तिक दृष्टान्त
78. भाई जोगा सिंघ जी
79. ब्राह्मण देवदास
80. दीपकौर
81. हरि नाम की महिमा
82. शुद्ध वाणी उच्चारण पर बल
83. आध्यात्मिक समस्या का समाधन
84. चरित्र निर्माण पर विशेष बल
85. विधाता पर अटूट आस्था
86. ढाल की परीक्षा
87. पर्वतीय नरेशों को प्रेरणा
88. आनन्दपुर का प्रथम युद्ध
89. आनन्दपुर का द्वितीय युद्ध
90. दुनीचन्द मसन्द
91. उदय सिंघ और विचित्र सिंघ
92. भाई कन्हैया जी
93. आनन्दपुर साहिब का तृतीय युद्ध
94. सैद खान
95. आनन्दपुर की चैथी और अन्तिम लड़ाई
96. आनन्दगढ़ का त्याग
चौथा अध्याय
97. आनन्दपुर से प्रस्थान
98. चमकौर का युद्ध
99. चमकौर की रणभूमि से माछीवाड़ा क्षेत्र में
100. माछीवाड़े क्षेत्र से पलायन
101. अल्प आयु के शहीद
102. मुगलों से अन्तिम युद्ध के लिए उचित क्षेत्र की खोज
103. मुगलों से अन्तिम युद्ध
104. मुक्तसर का युद्ध
पाँचवा अध्याय
105. मालवा क्षेत्र में प्रचार
106. हाज़री मन की अथवा तन की
107. सच्चा प्रेम ही प्रभु चरणों में प्रवान
108. जागीरदार डल्ले के सैनिकों की परीक्षा
109. सरहिन्द से जगीरदार डल्ले को ध्मकी
110. धर्मपत्नी से मिलाप
111. गुरूग्रंथ साहब के नये स्वरूप की संपादना
112. गुरू चरणों में पीढ़ी जितना स्थान
113. कवि दरबार
114. प्रचार का असर
छठा अध्याय
115. औरंगजेब की मृत्यु और उसके उत्तराधिकारियों में युद्ध
116. उज्जवल आचरण ही श्रेष्ठता का प्रतीक
117. पीर को सीख
118. केश अनिवार्य क्यों?
119. खालसा सम्पूर्ण
120. भाई मान सिंघ जी की हत्या
121. माधे दास वैरागी
122. तम्बाकू का निषेध्
123. सहया का शिकार
124.माता साहब देवां कौर का दिल्ली प्रस्थान
125. सम्राट द्वारा बहुमूल्य नगीना भेंट
126. धनुर्विद्या की प्रतियोगिता का आयोजन
127. श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी पर घातक आक्रमण
128. भाई दया सिंघ जी का निधन
129. ग्रंथ साहब को गुरू पदवी प्रदान की
130. सचखण्ड गमन
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