Check out Gurbani Lyrics of Sacred Shabad "Gobind Hum Aise Apradhi," composed by Shiromani Bhagat Kabir Sahib Ji in Raga Ramkali is available on Ang 970 - 971 of Living Guru Sri Guru Granth Sahib Ji. We have carefully transliterated this profound Shabad into three languages: English, Hindi, and the original Gurmukhi script. To ensure a comprehensive understanding, we have also provided a detailed translation in all three languages.
Shabad Title | Gobind Hum Aise Apradhi |
Artist | Bhai Sarabjit Singh Ji |
Lyrics | Bhagat Kabir Ji |
SGGS Page | 970 - 971 |
Translation | Punjabi, English, Hindi |
Transliteration | Hindi, English, Punjabi |
Duration | 13:15 |
Music Label | T-Series |
Original Text in Gurmukhi
ਕਵਨ ਕਾਜ ਸਿਰਜੇ ਜਗ ਭੀਤਰਿ ਜਨਮਿ ਕਵਨ ਫਲੁ ਪਾਇਆ ॥
ਭਵ ਨਿਧਿ ਤਰਨ ਤਾਰਨ ਚਿੰਤਾਮਨਿ ਇਕ ਨਿਮਖ ਨ ਇਹੁ ਮਨੁ ਲਾਇਆ ॥੧॥
ਗੋਬਿੰਦ ਹਮ ਐਸੇ ਅਪਰਾਧੀ ॥
ਜਿਨਿ ਪ੍ਰਭਿ ਜੀਉ ਪਿੰਡੁ ਥਾ ਦੀਆ ਤਿਸ ਕੀ ਭਾਉ ਭਗਤਿ ਨਹੀ ਸਾਧੀ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
ਪਰ ਧਨ ਪਰ ਤਨ ਪਰ ਤੀ ਨਿੰਦਾ ਪਰ ਅਪਬਾਦੁ ਨ ਛੂਟੈ ॥
ਆਵਾ ਗਵਨੁ ਹੋਤੁ ਹੈ ਫੁਨਿ ਫੁਨਿ ਇਹੁ ਪਰਸੰਗੁ ਨ ਤੂਟੈ ॥੨॥
ਜਿਹ ਘਰਿ ਕਥਾ ਹੋਤ ਹਰਿ ਸੰਤਨ ਇਕ ਨਿਮਖ ਨ ਕੀਨੋ ਮੈ ਫੇਰਾ ॥
ਲੰਪਟ ਚੋਰ ਦੂਤ ਮਤਵਾਰੇ ਤਿਨ ਸੰਗਿ ਸਦਾ ਬਸੇਰਾ ॥੩॥
ਕਾਮ ਕ੍ਰੋਧ ਮਾਇਆ ਮਦ ਮਤਸਰ ਏ ਸੰਪੈ ਮੋ ਮਾਹੀ ॥
ਦਇਆ ਧਰਮੁ ਅਰੁ ਗੁਰ ਕੀ ਸੇਵਾ ਏ ਸੁਪਨੰਤਰਿ ਨਾਹੀ ॥੪॥
ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਦਮੋਦਰ ਭਗਤਿ ਬਛਲ ਭੈ ਹਾਰੀ ॥
ਕਹਤ ਕਬੀਰ ਭੀਰ ਜਨ ਰਾਖਹੁ ਹਰਿ ਸੇਵਾ ਕਰਉ ਤੁਮਾਰੀ ॥੫॥੮॥
Punjabi Translation
ਕਿਹੜੇ ਕੰਮ ਲਈ ਤੈਨੂੰ ਸੰਸਾਰ ਅੰਦਰ ਪੈਂਦਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਤੂੰ ਇਸ ਜੀਵਨ ਤੋਂ ਕੀ ਲਾਭ ਉਠਾਇਆ ਹੈ? ਇਕ ਮੁਹਤ ਭਰ ਲਈ ਭੀ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਇਸ ਚਿੱਤ ਨੂੰ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਜੋੜਿਆ, ਜੋ ਭਿਆਨਕ ਸੰਸਾਰ ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ ਪਾਰ ਹੋਣ ਲਈ ਇਕ ਜਹਾਜ਼ ਹੈ ਅਤੇ ਚਿੱਤ ਦੀਆਂ ਖਾਹਿਸ਼ਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਨਹਾਰ ਹੈ ॥
ਹੇ ਕੁਲ ਆਲਮ ਦੇ ਸੁਆਮੀ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ! ਮੈਂ ਐਹੋ ਜੇਹਾ ਪਾਪੀ ਹਾਂ ॥ ਜਿਸ ਸੁਆਮੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਜਿੰਦੜੀ ਅਤੇ ਦੇਹ ਪਰਦਾਨ ਕੀਤੇ ਹਨ, ਉਸ ਦੀ ਪਿਆਰੀ ਉਪਾਸ਼ਨਾ ਮੈਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ॥ ਠਹਿਰਾਉ ॥
ਹੋਰਸ ਦੀ ਦੌਲਤ, ਹੋਰਸ ਦੀ ਦੇਹ, ਹੋਰਸ ਦੀ ਪਤਨੀ, ਹੋਰਸ ਦੀ ਬਦਖੋਈ ਅਤੇ ਬਖੇੜੇ, ਮੈਂ ਛੱਡ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ॥ ਇਸ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਮੁੜ ਮੁੜ ਕੇ ਆਉਣਾ ਤੇ ਜਾਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਕਹਾਣੀ ਮੁੱਕਦੀ ਹੀ ਨਹੀਂ ॥
ਜਿਸ ਗ੍ਰਹਿ ਵਿੱਚ ਸਾਧੂ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਦੀ ਵਾਰਤਾ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਗ੍ਰਹਿ ਵਿੱਚ ਮੈਂ ਇਕ ਮੁਹਤ ਭਰ ਲਈ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦਾ ॥ ਲੁੱਚੇ ਲੰਡੇ, ਚੋਰ, ਦੱਲੇ ਅਤੇ ਸ਼ਰਾਬੀ, ਮੇਰਾ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ॥ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਵਾਸਾ ਹੈ ॥
ਜਨਾਹਕਾਰੀ, ਗੁੱਸਾ, ਧਨ-ਦੌਲਤ ਦੀ ਖਾਹਿਸ਼ ਹੰਕਾਰ ਤੇ ਈਰਖਾ, ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਮੇਰੇ ਅੰਦਰ ਹੈ ॥ ਰਹਿਮ, ਪਵਿੱਤ੍ਰਤਾ ਅਤੇ ਗੁਰਾਂ ਦੀ ਟਹਿਲ ਸੇਵਾ, ਇਹ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਸੁਫਨੇ ਵਿੱਚ ਭੀ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ॥
ਆਪਣੇ ਢਿੱਡ ਉਦਾਲੇ ਰੱਸੀ ਰੱਖਣ ਵਾਲਾ, ਮਿਹਰਬਾਨ ਮਾਲਕ ਮਸੀਕਨਾਂ ਉੱਤੇ ਮਇਆਵਾਨ, ਸੰਤਾਂ ਦਾ ਪਿਆਰਾ ਅਤੇ ਡਰ ਦੇ ਨਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਹੈ ॥ ਕਬੀਰ ਜੀ ਆਖਦੇ ਹਨ, ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਗੋਲੇ ਨੂੰ ਤਬਾਹੀ ਤੋਂ ਬਚਾ, ਹੇ ਪ੍ਰਭੂ, ਅਤੇ ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਟਹਿਲ ਸੇਵਾ ਕਮਾਵਾਂਗਾ ॥
Gurbani Lyrics in English
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Jin Prabh Jio Pind Tha Diya
Tis Ki Bhaao Bhagat Nahi Sadhi
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Kavan Kaaj Sirje Jag Bheetar
Janam Kavan Phal Paya ..X2
Bhav Nidh Taran Taaran Chintaman
Ik Nimakh Na Eh Man Laya ..X2
Ik Nimakh Na Eh Man Laya
Hum Aise Apradhi...
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Jin Prabh Jio Pind Tha Diya
Tis Ki Bhaao Bhagat Nahi Sadhi
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Par Dhan Par Tan Par Tee Ninda
Par Apbaad Naa Chhoote ..X2
Aava Gavan Hot Hai Phun Phun
Eh Parsang Na Toote.. X2
Eh Parsang Na Toote..
Hum Aise Apradhi...
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Jih Ghar Katha Hor Har Santan
Ik Nimakh Na Keeno Main Fera... X2
Lampat Chor Doot Matvaare
Tin Sang Sada Basera... X2
Tin Sang Sada Basera
Hum Aise Apradhi...
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Kaam Krodh Maya Mad Matsar
Ei Sampai Mo Mahi ... X2
Daya Dharm Ar Gur Ki Seva
Ei Supnantar Naahi ...X2
Eh Supnantar Naahi
Hum Aise Apradhi...
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
Deen Daiyal Kripaal Damodar
Bhagat Vachhal Bhai Haari ...X2
Kahat Kabeer Bheer Jan Rakhahu
Har Seva Karo Tumhari ...X2
Har Seva Karo Tumhari
Hum Aise Apradhi...
Gobind Hum Aise Apradhi
Hum Aise Apradhi...
English Translation
Kavan Kaaj Sirje Jag Bheetar...
O Lord! What for had You created us and what is the benefit of our birth (being born) in this world? We have not developed a love of Your True Name even for a moment, which was the ship of safety for crossing this ocean of life successfully. (1)
Gobind Hum Aise Apradhi...
O Lord-Gobind! We are such great sinners, that we have never served the Lord with love and devotion who had blessed us with this body and soul and never worshipped the Lord. (Pause -1)
Par Dhan Par Tan Par Tee Ninda...
We have never given up collecting someone's wealth, usurping someone's wife (or son), and slandering others including squabbling with others. Thus we never get out of the cycle of births and deaths and this story never ends. (2)
Jih Ghar Katha Hor Har Santan...
I have never visited the house (company) of the saints, where the praises of the Lord are being sung even for a moment. Instead, I was keeping company with faithless people, thieves, slanders, and those engrossed in worldly pleasures all the time. (3)
Kaam Krodh Maya Mad Matsar...
So I collected within myself the vices of sexual desires, anger, deceit, egoism, and vilification or jealousy. Moreover, I never even dreamt of mercy, duty (religious), or the service of the Guru even in my dreams. (4)
Deen Daiyal Kripaal Damodar...
O Lord-benefactor, merciful to the helpless! You are the beloved of Your saints, who cast away their fear complex (of death). O Kabir! May the Lord protect me against the collection of these vices (like sexual desires) which are stronger than me, so that I can serve Him with love and devotion! (5-8)
Lyrics in Hindi
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
जिन प्रभ जिओ पिंड था दिया
तिस की भाओ भगत नहीं साधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
कवन काज सिरजे जग भीतर
जनम कवन फल पाया
भव निध तरन तारन चिंतामन
इक निमख न इह मन लाया
इक निमख न इह मन लाया..
तिस की भाओ भगत नहीं साधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
जिन प्रभ जिओ पिंड था दिया
तिस की भाओ भगत नहीं साधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
पर धन पर तन पर ती निंदा
पर अपबाद न छूटै
आवा गवन होत है फुन फुन
इहु परसंग न तूटै
इहु परसंग न तूटै
हम ऐसे अपराधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
जिह घर कथा होत हर संतन
इक निमख न कीनों मैं फेरा
लॅंपट चोर दूत मतवारे
तिन संग सदा बसेरा
तिन संग सदा बसेरा
हम ऐसे अपराधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
काम क्रोध माया मद मत्सर
ए संपै मो माही
दया धर्म अर गुर की सेवा
ए सुपनन्तर नाही
ए सुपनन्तर नाही
हम ऐसे अपराधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
दीन दयाल कृपाल दमोदर
भगत बछल भै हारी
कहत् कबीर भीर जन राखहु
हर सेवा करो तुम्हारी
हम ऐसे अपराधी
गोबिन्द हम ऐसे अपराधी..
हम ऐसे अपराधी
Hindi Translation
हे गोविंद ! हम जीव ऐसे अपराधी हैं, जिस प्रभु ने प्राण, शरीर दिया था, उसकी कभी प्रेम-भक्ति नहीं की।॥ १॥
किस काम के लिए जग में हमें उत्पन्न किया है और जन्म लेकर हमने क्या फल प्राप्त किया है ? उस मोक्षदाता, संसार-सागर से पार करने वाले, चिंतामणि परमेश्वर में एक क्षण भी यह मन नहीं लगाया॥ १॥
पराए धन की लालसा, पराई नारी की कामना, पराई निंदा एवं पराए झंझटों से हम छूट नहीं सके, इसलिए पुनः पुनः हमारा जन्म मरण होता रहता है और यह कहानी कभी समाप्त ही नहीं होती।॥ २॥
जिस घर में हरि-कथा होती है, वहाँ एक क्षण भर भी फेरा नहीं किया। हमारा तो लंपट, चोर, दुष्ट एवं शराबियों के संग ही सदा बसेरा रहा॥ ३॥
काम, क्रोध, माया, अभिमान एवं ईर्षा इत्यादि यह संपति ही हमारे पास है। दया, धर्म और गुरु की सेवा इत्यादि शुभ-कर्म करने का ख्याल कभी सपने में भी नहीं आया॥ ४॥
हे परमेश्वर ! तू दीनदयाल, कृपा का भण्डार, भक्तवत्सल एवं भयनाशक है। कबीर विनती करते हैं कि हे हरि ! अपने सेवक की विपत्ति से रक्षा करो, मैं हरदम तेरी सेवा करता रहूँगा॥ ५॥ ८॥