जीवन वृत्तान्त श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी
Life History Of Guru Hargobind Sahib Ji - Jivan Vritant Guru Hargobind Sahib Ji - is a Book in Hindi published by Krantikari Jagat Guru Nanak Dev Charitable Trust, Chandigarh. Written by S. Jasbir Singh, It covers the History and Life Journey of the 6th Sikh Guru Sri Guru Hargobind Sahib Ji Maharaj in Brief.
Book | जीवन वृत्तान्त श्री गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी |
Writer | S. Jasbir Singh |
Pages | 54 |
Language | Hindi |
Script | Devnagari |
Size | 7.56 MB |
Format | |
Publisher | Krantikari Jagat Guru Nanak Dev Charitable Trust, Chandigarh [Public Domain] |
जीवन वृत्तान्त श्री गुरु हरिकृष्ण साहिब जी - क्रांतिकारी जगतगुरु नानक देव चेरीटेबल ट्रस्ट, चंडीगढ़ द्वारा प्रकाशित हिंदी पुस्तक है। स. जसबीर सिंघ द्वारा लिखी इस पुस्तक में आठवें सिख गुरु श्री गुरु हरिकृष्ण जी महाराज के इतिहास और जीवन यात्रा पर सरल भाषा में प्रकाश डाला गया है।
Sri Guru Hargobind Sahib Ji Biography Hindi Book - Index
1. श्री गुरू हरिगोबिन्द साहब जी
2. अकाल तख्त की सृजना तथा दिनचर्या
3. चन्दूशाह की चिन्ता
4. शेर का शिकार
5. एक श्रमिक घासिएं का वृत्तन्त
6. सम्राट को राजकीय ज्योतिषि द्वारा ग्रहों का प्रकोप बताना
7. गुरूदेव ग्वालियर के किले में
8. गुरूदेव की ग्वालियर से अमृतसर वापसी
9. कुमारी कौलां गुरू शरण में
10. सुलक्षणी देवी की मनोकामना फलीभूत
11. पैंदे खान
12. भाई गोपाला जी
13. श्री अटल राय जी
14. भाई तिलका जी
15. प्रथम युद्ध
16. हरिगोबिन्द पुर में द्वितीय युद्ध
17. नानक मते के लिए प्रस्थान
18. समरथ रामदास से भेंट
19. माई भागभरी
20. भाई कट्टू शाह
21. शाह उद दौला, पीर से भेंट
22. बाबा बुड्ढा जी का निधन
23. भाई गुरदास जी का निधन
24. भाई विधिचन्द जी के करतब
25. गुरूदेव जी का शाही सेना से तृत्तीय युद्ध
26. बाबा श्री चन्द जी से भेंट
27. बुढ़ण शाह
28. (गुरू) हरि राय जी का प्रकाश (जन्म)
29. शाही सेना के साथ चैथा और अन्तिम युद्ध
30. गुरू सुपुत्र श्री गुरूदिता जी का निधन
31. नरेश हरिसैन
32. भाई भैरों जी
33. पौत्र हरिराय जी को गुरयाई सौंपना
Synopsis Jivan Vritant Guru Hargobind Sahib Ji:
श्री गुरू हरगोविन्द जी का प्रकाश श्री गुरू अर्जुन देव जी के गृह माता गंगा जी के उदर से संवत 1652 की 21 आषाढ़ शुक्ल पक्ष में तदानुसार 14 जून सन् 1595 ईस्वी को जिला अमृतसर के वडाली गांव में हुआ। बाल्यकाल से ही श्री हरिगोविन्द जी बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। श्री गुरू अर्जुन देव जी के यहां लम्बी अवधि के पश्चात इकलौते पुत्रा के रूप में होने के कारण उन्हें माता पिताका अथाह स्नेह मिला और इस स्नेह में मिले उच्च कोटि के संस्कार तथा भक्तिभाव से पूर्ण सात्विक वातावरण।
आप के लालन-पालन में बाबा बुड्ढा जी तथा भाई गुरदास जी जैसी महान विभूतियों का विशेष योगदान रहा। जिससे आयु के बढ़ने के साथ उन्हें स्वतः ही विवेकशीलता, माधुर्य प्रभु भक्ति एवं सहिष्णुता के सद्गुण भी प्राप्त होते चले गए। जब आप सात वर्ष के हुए तो आपको साक्षर करने के लिए बाबा बुड्ढा जी तथा भाई गुरदास जी की नियुक्ति की गई। इसके साथ ही आपको शस्त्र विद्या सिखाने के लिए भाई जेठा जी की नियुक्ति की गई।
आप घुड़सवार बन गए व नेज़ाबाजी, बन्दूक आदि शस्त्रों को चलाने में भी आपने शीघ्र ही प्रवीणता प्राप्त कर ली। आप का कद बुलन्द, अति सुन्दर, चैड़ी छाती, हाथी की सूंड जैसे लम्बे बाजू माथा स्कन्ध भाग तथा पैरों की महराब ऊंचे, दांत चमकीले, रंग गदमी, नेत्रा हिरणों जैसे, बलवान सुंगठित शरीर आत्मबल एवं मानसिक बल में प्रवीण इत्यादि गुण प्रकृति से उपहार स्वरूप प्राप्त हुए थे।
To Read Full Story, Download Book on Life History Of Guru Hargobind Sahib Ji in Hindi, Click the Download Button Below:
The Review
Life History Of Guru Hargobind Sahib Ji in Hindi PDF
This book provides a concise yet informative account of the historical and spiritual significance of Guru Hargobind Sahib Ji.
Review Breakdown
-
PDF Quality
-
Relevance and Significance