Guru Ramdas Ji History Hindi PDF
Guru Ramdas Ji History in Hindi: Download Jeevan Vrittant Shri Guru Ramdas Ji, a 52-page Hindi biography by S. Jasbir Singh. Learn about the inspiring life, teachings, and legacy of the fourth Sikh Guru in this easy-to-read Hindi PDF, published by Krantikari Jagatguru Nanak Dev Charitable Trust, Chandigarh.
| Book | जीवन वृत्तान्त श्री गुरु रामदास जी | 
| Writer | S. Jasbir Singh | 
| Editor | NA | 
| Pages | 52 | 
| Language | Hindi | 
| Script | Devnagari | 
| Size | 5.90 MB | 
| Format | |
| Publisher | Krantikari Jagatguru Nanak Dev Charitable Trust, Chandigarh | 
श्री गुरू रामदास जी का प्रकाश - जन्म लाहौर नगर पाकिस्तान के बाजार चूना मण्डी में 24 सितम्बर सन् 1534 तद्नुसार संवत 1591, 20 कार्तिक शुक्लपक्ष रविवार को पिता हरिदास जी के गृह माता दया कौर की पुण्य कोख से हुआ। ज्येष्ट पुत्रा होने के कारण अड़ोसी-पड़ोसी व संबंधी आप को जेठा कह कर बुलाया करते थे। इस प्रकार आप का नाम राम दास के स्थान पर जेठा प्रसिद्ध हो गया। आप अभी नन्हीं आयु के थे कि आप जी की माता का निधन हो गया।
आप ‘सत्य-गुरू’ की खोज में खडूर नगर श्री गुरू अंगद देव जी की शरण में पहुंच गये और वहीं गुरू सेवा में स्वयं को समर्पित कर दिया किन्तु वर्ष में एक-दो बार घर पर अपने प्रियजनों से मिलने पहुँच जाते तो अध्यात्मिक दुनियां पर विचार-विर्मश होता। इन सभाओं में बालक रामदास - जेठा जी भी पहुँच जाते और ज्ञान चर्चा बहुत ध्यान से सुनते। बालक राम दास की जिज्ञासा देखकर श्री अमर दास बहुत प्रभावित होते। इस प्रकार वह उनको भा गया और उन के हृदय में इस अनाथ बालक के लिए अथाह स्नेह उमड़ पड़ा अतः वह मन ही मन इस बालक को उस की विवेकशील बुद्धि के कारण चाहने लगे।
गुरु रामदास जी - जीवन वृतांत (हिन्दी में)
श्री गुरू अमरदास की दृष्टि से भाई जेठा जी की गुरू भक्ति और धर्म निष्ठा छिपी हुई न थी वह भी जेठा जी को बहुत चाहने लगे और चाहते थे कि यह प्रीत सदैव बनी रहे। इस बीच आपकी सुपत्नी श्रीमती मन्सा देवी जी ने एक दिन अपनी छोटी बेटी कुमारी भानी के विवाह का सुझाव रखा और किसी योग्य वर की तलाश पर बल दिया। गुरूदेव जी ने सहज़ भाव से उन से प्रश्न किया कि आपको बिटिया के लिए किस प्रकार का वर चाहिए। उत्तर में मन्सा देवी जी ने कहा-वह जो युवक जेठा है न जो सेवा में सदैव तत्पर रहता है उस जैसा कोई होना चाहिए। इस पर उत्तर में गुरूदेव बोले जेठे जैसा तो कोई अन्य युवक हो ही नहीं सकता यदि जेठे जैसा दामाद चाहिए तो उस के लिए एक मात्र उसे ही स्वीकार करना होगा।
जेठा जी लाहौर से बारात लेकर आये तो श्री गुरू अमरदास जी ने बारात का भव्य स्वागत करते हुए सन 1553 तद्नुसार संवत 1610, 22 फाल्गुन को अपनी सपुत्राी कुमारी भानी जी का विवाह उन के साथ सम्पन्न कर दिया। श्री रामदास - जेठा जी तो यह सौभाग्य प्राप्त कर कृतज्ञ हो गये। अब वह और भी लगन के साथ अपने को योग्य सिद्ध करने के लिए सेवा में व्यस्त रहते। अब रामदास जी को पूर्ण गुरू के साथ माता-पिता का स्नेह भी प्राप्त हो रहा था अतः उनकी खुशियों की सीमा नहीं थी।
Guru Ramdas Ji History in Hindi सम्पूर्ण पढ़ने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें:-
 
			 
			






 
