Man Ichha Daan Karnang
Man Ichha Daan Karnang, Sarbatra Aasa Poornah Mukhwak by Sahib Sri Guru Arjan Dev Ji, raga Jaitsari di vaar, Pauri 3rd with shlokas Ang 706 of Sri Guru Granth Sahib Ji. मन इच्छा दान करणं सरबत्र आसा पूरनह पावन मुखवाक श्री गुरु अर्जुन देव जी महाराज की वाणी से लिया गया, गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज में दर्ज राग जैतसरी की वार की तीसरी पौड़ी (श्लोकों सहित) अंग 706 पर शोभायमान है।
Hukamnama | Man Ichha Daan Karnang |
Place | Darbar Sri Harmandir Sahib Ji, Amritsar |
Source | Sri Guru Granth Sahib Page 706 |
Creator | Guru Arjan Dev Ji |
Raag | Jaitsari |
Punjabi Translation English Translation Hindi Translation
Hukamnama Meaning
Slok ( Man ichha daan Karnang )
The Lord, who is bestowing all our worldly desires, always fulfills our wishes and hopes. O, Nanak! Let us recite the True Name of the Lord, who casts away (destroys) our sins, abiding within us, and is never a distant entity. ( 1) O, Brother! Try to develop a love for the Lord in whose unity you are enjoying the bliss of life. O, Nanak! Let us not forsake the Lord even for a moment, who has created this beautiful human body. (2)
Pouri
O, human being! The Lord, who has bestowed on us this life, body, wealth, and otherworldly pleasures along with a house, buildings, chariots, and horses, should be worshipped (remembered) alone. The Lord has blessed us with good relations, and other means of meeting others like friends, sons, wives, and disciples (slaves) and is capable of giving us all other facilities. The heart gets blossomed forth (like the flower) and the body or mind gets peace by reciting Lord's True Name, leaving aside sufferings due to the separation (from the Lord). Let us, therefore, sing the praises of the Lord in the company of the holy saints, so as to get rid of all our ills and afflictions. (3)
Hukamnama in Hindi
सलोक ॥ मन इच्छा दान करणं(ग) सरबत्र आसा पूरनह ॥ खंडणं(ग) कल कलेसह प्रभ सिमर नानक नह दूरणह ॥१॥ हभ रंग माणहि जिस संग तै सिउ लाईऐ नेहु ॥ सो सहु बिंद न विसरउ नानक जिन सुंदर रचिआ देहु ॥२॥ पउड़ी ॥ जीओ प्रान तन धन दीआ दीने रस भोग ॥ गृह मंदर रथ अस दीए रच भले संजोग ॥ सुत बनिता साजन सेवक दीए प्रभ देवन जोग ॥ हर सिमरत तन मन हरिआ लहि जाहि विजोग ॥ साधसंग हर गुण रमहु बिनसे सभ रोग ॥३॥
श्लोक ॥ जो हमें मनोवांछित दान प्रदान करता है, हमारी समस्त अभिलाषाएँ पूरी करता है, हमारे दुःखों-क्लेशों का नाश करता है, अतः हे नानक ! हमें उस प्रभु का ही सिमरन करते रहना चाहिए, जो हमसे कहीं दूर नहीं अर्थात् हमारे पास ही है॥ १॥ जिसकी करुणा-दृष्टि से हम सभी सुख भोगते हैं, हमें तो उसके साथ ही अपना प्रेम लगाना चाहिए। हे नानक ! जिसने इस सुन्दर शरीर का निर्माण किया है, उस मालिक को हमें एक क्षण भर के लिए भी विस्मृत नहीं करना चाहिए॥ २॥
पउड़ी॥ हे जीव ! भगवान ने तुझे जीवन, प्राण, शरीर एवं धन प्रदान किया है और सर्व प्रकार के रस भोग दिए हैं। भले संयोग बनाकर ही उसने तुझे घर, महल, रथ एवं घोड़े दिए हैं। सभी को देने में समर्थ उस प्रभु ने तुझे पुत्र, पत्नी, मित्र एवं सेवक दिए हैं। उस भगवान का भजन करने से तन एवं मन हर्षित हो जाते हैं तथा वियोग भी समाप्त हो जाते हैं। अतः संतों-महापुरुषों की पवित्र सभा में सम्मिलित होकर भगवान का गुणगान करो, जिससे सभी रोग नाश हो जाएँगे।॥ ३॥
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Translation in Punjabi
ਹੇ ਨਾਨਕ ਜੀ! ਜੋ ਪ੍ਰਭੂ ਅਸਾਨੂੰ ਮਨ-ਮੰਨੀਆਂ ਦਾਤਾਂ ਦੇਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਭ ਥਾਂ (ਸਭ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ) ਆਸਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਅਸਾਡੇ ਝਗੜੇ ਤੇ ਕਲੇਸ਼ ਨਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ, ਉਹ ਤੈਥੋਂ ਦੂਰ ਨਹੀਂ ਹੈ ॥੧॥ ਜਿਸ ਪ੍ਰਭੂ ਦੀ ਬਰਕਤਿ ਨਾਲ ਤੂੰ ਸਾਰੀਆਂ ਮੌਜਾਂ ਮਾਣਦਾ ਹੈਂ, ਉਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰੀਤ ਜੋੜ। ਜਿਸ ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੇਰਾ ਸੋਹਣਾ ਸਰੀਰ ਬਣਾਇਆ ਹੈ, ਹੇ ਨਾਨਕ ਜੀ! ਰੱਬ ਕਰ ਕੇ ਉਹ ਤੈਨੂੰ ਕਦੇ ਭੀ ਨਾਹ ਭੁੱਲੇ ॥੨॥
(ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੈਨੂੰ) ਜਿੰਦ ਪ੍ਰਾਣ ਸਰੀਰ ਤੇ ਧਨ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਸੁਆਦਲੇ ਪਦਾਰਥ ਭੋਗਣ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ। ਤੇਰੇ ਚੰਗੇ ਭਾਗ ਬਣਾ ਕੇ, ਤੈਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਘਰ ਸੋਹਣੇ ਮਕਾਨ, ਰਥ ਤੇ ਘੋੜੇ ਦਿੱਤੇ। ਸਭ ਕੁਝ ਦੇਣ-ਜੋਗੇ ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੈਨੂੰ ਪੁੱਤਰ, ਵਹੁਟੀ ਮਿੱਤ੍ਰ ਤੇ ਨੌਕਰ ਦਿੱਤੇ। ਉਸ ਪ੍ਰਭੂ ਨੂੰ ਸਿਮਰਿਆਂ ਮਨ ਤਨ ਖਿੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਸਾਰੇ ਦੁੱਖ ਮਿਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। (ਹੇ ਭਾਈ!) ਸਤਸੰਗ ਵਿਚ ਉਸ ਹਰੀ ਦੇ ਗੁਣ ਚੇਤੇ ਕਰਿਆ ਕਰੋ, ਸਾਰੇ ਰੋਗ (ਉਸ ਨੂੰ ਸਿਮਰਿਆਂ) ਨਾਸ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ॥੩॥